क्या वित्त मंत्री सीतारमण अपनी भूटान यात्रा में आर्थिक सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा करेंगी?
सारांश
Key Takeaways
- वित्त मंत्री सीतारमण की भूटान यात्रा 30 अक्टूबर से शुरू हो रही है।
- वह भूटान के राजा और प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगी।
- उनकी यात्रा का उद्देश्य आर्थिक सहयोग को मजबूत करना है।
- वह कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं का निरीक्षण करेंगी।
- यात्रा के दौरान डिजिटल कनेक्टिविटी का प्रदर्शन किया जाएगा।
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वित्त मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी की गई आधिकारिक जानकारी के अनुसार, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक मामलों के विभाग प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए 30 अक्टूबर से 2 नवंबर 2025 तक भूटान की आधिकारिक यात्रा पर हैं।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, वित्त मंत्री सीतारमण की यात्रा की शुरुआत 1765 में स्थापित ऐतिहासिक संगचेन चोखोर मठ के दौरे से होगी, जहां 100 से अधिक भिक्षु बौद्ध धर्म की उन्नत पढ़ाई कर रहे हैं।
अपनी यात्रा के दौरान, वह भारत सरकार के सहयोग से चल रहे कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का निरीक्षण करेंगी, जिसमें कुरिचू हाइड्रोपावर प्लांट, ग्यालसुंग एकेडमी, संगचेन चोखोर मठ और पुनाखा जोंग शामिल हैं।
वित्त मंत्री भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और भूटान के प्रधानमंत्री दासो शेरिंग तोबगे से मुलाकात करेंगी। वह भूटान के वित्त मंत्री लेकी दोरजी के साथ द्विपक्षीय बैठक कर भारत-भूटान आर्थिक और वित्तीय सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा करेंगी।
मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वित्त मंत्री कई प्रमुख विकास पहलों पर प्रेजेंटेशन में भी शामिल होंगी, जिनमें ड्रक ग्रीन पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा भूटान का ऊर्जा क्षेत्र, भूटान का 21वीं सदी का आर्थिक रोडमैप, ड्रक पीएनबी और बैंक ऑफ भूटान द्वारा भूटान में बैंकिंग/फाइनेंशियल क्षेत्र और गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी प्रोजेक्ट शामिल हैं।
वित्त मंत्री कॉटेज और स्मॉल इंडस्ट्रीज मार्केट का भी दौरा करेंगी। सीएसआई मार्केट में, वे भारत और भूटान के बीच डिजिटल और वित्तीय कनेक्टिविटी को प्रदर्शित करते हुए देश के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का उपयोग कर लेन-देन करेंगी।
अपनी यात्रा के अंतिम चरण में, श्रीमती सीतारमण पुनाखा ज़ोंग जाएंगी - जो भूटान का दूसरा सबसे पुराना और सबसे बड़ा ज़ोंग है। पुनाखा ज़ोंग के दौरे के दौरान, वह भूटानी किसानों से बातचीत करेंगी ताकि उनके खेती के तरीकों, चुनौतियों और अवसरों को समझ सकें।