क्या छह महीने से कम उम्र के शिशुओं में नए प्रकार की डायबिटीज की खोज हुई है?

सारांश
Key Takeaways
- टीएमईएम167ए जीन
- डायबिटीज के 85 प्रतिशत मामलों में जीन गड़बड़ी का योगदान
- स्टेम सेल तकनीक का उपयोग
- नवजात डायबिटीज के लिए नए उपचार की संभावनाएं
- मस्तिष्क विकास में जीन की भूमिका
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने छह महीने से कम उम्र के शिशुओं में एक नए प्रकार की डायबिटीज की पहचान की है। इस नई बीमारी का कारण बच्चों के डीएनए में होने वाले विशेष बदलाव या म्यूटेशन हैं।
वैज्ञानिकों ने पाया है कि नवजात शिशुओं में होने वाली डायबिटीज के 85 प्रतिशत मामलों में यह बीमारी उनके जीन में हुई गड़बड़ी के कारण उत्पन्न होती है।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने टीएमईएम167ए नामक एक जीन को इस बीमारी से संबंधित बताया है, जो इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं की कार्यप्रणाली के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। इस खोज के माध्यम से वैज्ञानिकों को इंसुलिन निर्माण और उसके प्रवाह को समझने में सहायता मिली है।
शोध में यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर (यूके) और बेल्जियम की यूनिवर्सिटी लिब्रे डी ब्रुसेल्स (यूएलबी) ने सहयोग प्रदान किया है। उन्होंने उन शिशुओं के डीएनए का अध्ययन किया, जिन्हें केवल डायबिटीज ही नहीं, बल्कि मिर्गी और माइक्रोसेफली जैसी मस्तिष्क संबंधी समस्याएं भी थीं। इस जांच के दौरान टीएमईएम167ए जीन में परिवर्तन का पता चला।
शोधकर्ता डॉ. एलिसा डी फ्रांको ने कहा, "डीएनए परिवर्तन को जानने से हमें यह जानकारी प्राप्त होती है कि कौन से जीन इंसुलिन निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस खोज ने टीएमईएम167ए जीन के बारे में नई जानकारियाँ प्रदान की हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह जीन इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं के उचित कार्य के लिए अनिवार्य है।"
शोध में टीम ने स्टेम सेल तकनीक और आधुनिक सीआरआईएसपीआर नामक जीन-संपादन तकनीक का उपयोग किया। उन्होंने स्टेम सेल्स को इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं में परिवर्तित किया और फिर टीएमईएम167ए जीन में बदलाव किए। इस प्रक्रिया में यह स्पष्ट हुआ कि जब टीएमईएम167ए जीन में गड़बड़ी होती है, तो इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाएं कार्य करना बंद कर देती हैं और तनाव के कारण धीरे-धीरे मर जाती हैं। इससे डायबिटीज की बीमारी होती है क्योंकि शरीर को आवश्यक इंसुलिन नहीं मिल पाता।
प्रोफेसर मिरियम क्नॉप ने बताया कि स्टेम सेल से इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं का रोग के कारणों को समझने और नए उपचार खोजने में अत्यधिक लाभ हो सकता है। यह खोज डायबिटीज को समझने में सहायक है, बल्कि मस्तिष्क की कोशिकाओं के लिए भी टीएमईएम167ए जीन की महत्ता को उजागर करती है।
जर्नल ऑफ क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन में प्रकाशित इस शोध में यह पाया गया कि यह जीन मस्तिष्क के न्यूरॉन्स के लिए भी आवश्यक होता है, जबकि शरीर की अन्य कोशिकाओं के लिए उतना महत्वपूर्ण नहीं है। इस नई जानकारी से वैज्ञानिकों को इस दुर्लभ प्रकार की नवजात डायबिटीज की बेहतर समझ मिली है और यह भी ज्ञात हुआ है कि टीएमईएम167ए जीन इंसुलिन उत्पादन और मस्तिष्क के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।