क्या हिमाचल प्रदेश के सोलन में भारी बारिश से फसलों पर संकट गहरा रहा है?

सारांश
सोलन, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में हो रही मूसलाधार बारिश ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। नमी के कारण फसलों पर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है, जिससे कृषि उपज को बड़ा नुकसान हो रहा है। जानें इस संकट के पीछे के कारण और उपाय।
Key Takeaways
- सोलन में बारिश ने फसलों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
- कृषि विभाग ने नुकसान का आकलन शुरू किया है।
- फसल बीमा योजना किसानों के लिए लाभकारी है।
- अर्ली ब्लाइट्स और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
- किसानों को जल निकासी और क्रॉप रोटेशन पर ध्यान देना चाहिए।
सोलन, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने किसानों की चिंता को और बढ़ा दिया है। अत्यधिक नमी के चलते खेतों में फसलों पर बीमारियों का खतरा गहराता जा रहा है, जिससे कृषि उपज पर गंभीर संकट आ सकता है।
कृषि उपनिदेशक देवराज कश्यप ने जानकारी दी कि बारिश के कारण फसलों में अर्ली ब्लाइट्स, जड़ गलन और फ्रूट रॉट जैसी बीमारियों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। इन बीमारियों ने विशेषकर टमाटर, शिमला मिर्च और अन्य नकदी फसलों को प्रभावित किया है, जिससे किसानों की आजीविका पर संकट गहरा गया है।
कृषि विभाग ने बारिश के कारण हुए फसल नुकसान का आकलन प्रारंभ कर दिया है। कश्यप के अनुसार, विभाग ने नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जिसे राजस्व अधिकारियों को भेजा जाएगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे फसल बीमा योजना का लाभ उठाएं। कश्यप ने बताया कि टमाटर जैसी प्रमुख फसलों के लिए केवल 800 रुपए प्रति बीघा प्रीमियम देकर किसान प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं। यह योजना छोटे और सीमांत किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।
कृषि उपनिदेशक ने किसानों को सलाह दी कि वे खेतों में पानी की उचित निकासी सुनिश्चित करें, ताकि फसलों की जड़ों में जलभराव न हो। इसके अलावा, फसलों को पर्याप्त धूप मिलने की व्यवस्था और बीजों को फफूंदनाशक से उपचार करना भी आवश्यक है।
देवराज कश्यप ने बताया कि जिन क्षेत्रों में अर्ली ब्लाइट्स की समस्या अधिक है, वहां क्रॉप रोटेशन अपनाना अनिवार्य है। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और बीमारियों का खतरा कम होता है। उन्होंने किसानों को समय-समय पर फफूंदनाशक दवाइयों का छिड़काव करने की सलाह दी, ताकि फसलों को बीमारियों से सुरक्षित रखा जा सके।
कृषि विभाग ने किसानों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। कश्यप ने कहा कि विभाग किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, फफूंदनाशक दवाएं और अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध करा रहा है। इसके लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर कृषि अधिकारियों की टीमें सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं।