क्या सोनिया गांधी का वोटर लिस्ट में नाम नागरिकता से पहले शामिल किया गया?

सारांश
Key Takeaways
- सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट में विवादित तरीके से शामिल किया गया है।
- भाजपा नेताओं के आरोपों से राजनीतिक हलचल मची है।
- अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी।
- यह मामला चुनावी प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।
- दिल्ली पुलिस को जांच के निर्देश दिए जा सकते हैं।
नई दिल्ली, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस की प्रमुख नेता और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ राऊज एवेन्यू कोर्ट में दायर एक याचिका पर अब 10 सितंबर को सुनवाई निर्धारित की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल 1983 को भारतीय नागरिकता प्राप्त की, लेकिन उनका नाम इससे पहले, 1980 की वोटर लिस्ट में जोड़ दिया गया था।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि उसे याचिका का गहराई से अध्ययन करने के लिए समय चाहिए। इसके बाद अगली तारीख 10 सितंबर तय की गई।
याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया है कि जब सोनिया गांधी ने 1983 में नागरिकता प्राप्त की, तो 1980 की वोटर लिस्ट में उनका नाम कैसे आया। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि यह संभवतः फर्जी दस्तावेजों के जरिए किया गया। वकील ने यह भी आरोप लगाया कि 1982 की वोटर लिस्ट से सोनिया गांधी का नाम हटा दिया गया था। ऐसे में सवाल है कि नाम हटाने का कारण क्या था? क्या उन्होंने विदेशी नागरिकता ली थी या किसी अन्य क्षेत्र में स्थानांतरित हो गई थीं?
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से अनुरोध किया है कि दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया जाए कि वह इस मामले में कार्रवाई करे और अपनी स्थिति रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करे।
भाजपा के कई नेता इन दिनों सोनिया गांधी पर निशाना साध रहे हैं, उनका कहना है कि सोनिया गांधी ने भारत की नागरिकता प्राप्त करने से पहले ही वोटर बनकर वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल करवाया था।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने हाल ही में सोनिया गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि 1980 में, इटली की नागरिक होते हुए भी, उन्होंने भारत की वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाया था। मालवीय ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और 'इंडिया' गठबंधन अवैध प्रवासियों और गैर-भारतीयों का समर्थन कर रहे हैं।