क्या दक्षिण कोरिया में टैरिफ तनाव बढ़ रहा है? राष्ट्रपति कार्यालय ने अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई

सारांश
Key Takeaways
- दक्षिण कोरिया ने अमेरिका की टैरिफ नीति पर आपात बैठक बुलाई।
- बैठक में वित्त, व्यापार और विदेश मंत्री शामिल हुए।
- दक्षिण कोरिया ने अमेरिका को 350 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है।
- अमेरिकी टैरिफ को कम करने की बातचीत चल रही है।
- दक्षिण कोरिया को मुद्रा विनिमय जैसे सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
सोल, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के टैरिफ विवाद के बीच, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने रविवार को वाशिंगटन की टैरिफ नीति पर एक आपातकालीन प्रतिक्रिया बैठक का आयोजन किया। इससे पहले, अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की गई थी।
राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, इस इमरजेंसी बैठक की सह-अध्यक्षता राष्ट्रपति के नीति मामलों के प्रमुख किम योंग-बियोम और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार वाई सुंग-लाक ने की, जिसमें वित्त, विदेश और व्यापार मंत्री भी शामिल हुए।
योनहाप न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार (स्थानीय समय) को उद्योग मंत्री किम जंग-क्वान और अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने अमेरिका में टैरिफ के मुद्दे पर बैठक की। इसके बाद दक्षिण कोरियाई मंत्रियों ने अपनी इमरजेंसी मीटिंग बुलाई।
इस इमरजेंसी मीटिंग में क्या चर्चा हुई, इसे लेकर राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, "इस बैठक में शनिवार रात को उद्योग मंत्री किम जंग-क्वान और अमेरिकी वाणिज्य सचिव लुटनिक के बीच हुई बातचीत के बारे में जानकारी दी गई। इसके साथ ही मीटिंग में शामिल अन्य लोगों ने परिणामों के आधार पर टैरिफ वार्ता को संबोधित करने के तरीकों पर चर्चा की।"
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार वाई सुंग-लाक ने 29 सितंबर को कहा कि दक्षिण कोरिया टैरिफ कम करने के ढांचे के तहत अमेरिका को नकद में 350 अरब डॉलर के निवेश के अपने वादे को पूरा करने में असमर्थ है।
यह टिप्पणी उस समय आई है जब सोल और वाशिंगटन एक डील को फाइनल करने के लिए निवेश पैकेज के विवरण पर काम कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है कि अमेरिकी टैरिफ को 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत किया जाए।
सोल के अधिकारियों ने कहा है कि 350 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश के वादे के लिए मुद्रा विनिमय जैसे सुरक्षा उपायों की आवश्यकता थी और इसका उद्देश्य नकद भुगतान के बजाय परियोजनाओं का वित्तपोषण करना था।