क्या एसटी हसन ने मांस की बिक्री पर प्रतिबंध को गलत बताया?

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क्या एसटी हसन ने मांस की बिक्री पर प्रतिबंध को गलत बताया?

सारांश

मुंबई के कल्याण-डोंबिवली नगर निगम द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के आदेश ने सियासी विवाद को जन्म दिया है। समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन ने इस आदेश की आलोचना की है और इसे आजादी का दिन बताते हुए गलत ठहराया है। जानिए इस मुद्दे पर और क्या कहा उन्होंने।

Key Takeaways

  • नगर निगम का आदेश विवादास्पद है।
  • एसटी हसन ने इसे आजादी का दिन बताया।
  • राजनीतिक माहौल बिगड़ने की आशंका।
  • आरएसएस और भाजपा पर सांप्रदायिकता का आरोप।
  • इस्लामी तलाक प्रक्रिया का उल्लेख।

मुरादाबाद, १३ अगस्‍त (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई में कल्याण-डोंबिवली नगर निगम (केडीएमसी) द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पर सियासत में उबाल आ गया है। समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन ने नगर निगम की इस कार्रवाई को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि यह आजादी का दिन है, कोई धार्मिक त्योहार नहीं है।

सपा नेता एसटी हसन ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि नगर निगम का यह आदेश पूरी तरह से गलत है। भारत में कई लोग मांसाहारी हैं। यह त्योहार सभी धर्मों और जातियों का है। अगर लोग कुछ खा रहे हैं, तो इसमें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। इसमें किसी का धर्मभ्रष्ट नहीं हो रहा है। जो लोग ऐसा सोचते हैं, उन्हें मांसाहार त्याग देना चाहिए।

फतेहपुर विवाद के संदर्भ में उन्होंने कहा कि चुनाव नजदीक हैं, और माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। मकबरे के अंदर मंदिर दिखने लगे हैं, और मस्जिदों में मंदिर ढूंढे जा रहे हैं। जिस पार्टी को बवाल से फायदा होता है, उसके जिलाध्यक्ष बवाल में मौजूद थे।

उन्होंने कहा कि आरएसएस हमेशा नफरत फैलाने का काम करती रही है। इसका परिणाम अब दिख रहा है। न सिर्फ आरएसएस, बल्कि भाजपा भी सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने का काम कर रही है। लोगों के बीच दूरियां पैदा की जा रही हैं। देश का माहौल खराब होने के बाद ही भाजपा जीतती है।

हसन ने मुस्लिम विवाह और तलाक के संबंध में गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले पर कहा कि इस्लामी कानून के अनुसार पहले जब तलाक दिया जाता था, तो पुरुष तलाक के बाद एक महीने तक इंतजार करता था। फिर दूसरा तलाक देता था, और फिर एक महीने तक इंतजार करता था। महिला को घर से बाहर नहीं भेजा जाता था, और जब तक उसकी इद्दत की अवधि समाप्त नहीं हो जाती, तब तक पति उसके खाने, भरण-पोषण और सभी खर्चों के लिए जिम्मेदार होता था, जैसा कि शरिया कानून के तहत निर्धारित है।

Point of View

बल्कि यह एक सामाजिक और राजनीतिक विषय भी बन गया है। समाज में धार्मिक असहिष्णुता की भावना को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। इस मुद्दे पर सभी पक्षों को विचार करना चाहिए और एक सकारात्मक संवाद कायम करना चाहिए।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या एसटी हसन ने नगर निगम के आदेश का विरोध किया?
हाँ, एसटी हसन ने नगर निगम के आदेश को गलत बताया और इसे आजादी का दिन मानते हुए विरोध किया।
क्या मांस का सेवन सभी धर्मों में स्वीकार्य है?
हां, भारत में कई लोग मांसाहारी हैं और यह त्योहार सभी धर्मों और जातियों का है।
आरएसएस और भाजपा पर एसटी हसन ने क्या आरोप लगाए?
उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस और भाजपा सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने का काम कर रही हैं।
क्या इस आदेश का चुनावों से कोई संबंध है?
हां, उन्होंने कहा कि चुनाव नजदीक हैं और माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है।
इस्लामी तलाक के संबंध में एसटी हसन का क्या कहना है?
उन्होंने कहा कि इस्लामी कानून के अनुसार तलाक की प्रक्रिया में एक निश्चित अवधि होती है, जिसमें पति को पत्नी का भरण-पोषण सुनिश्चित करना होता है।