क्या केंद्र सरकार अमेरिकी सेना में दाढ़ी पर प्रतिबंध का मुद्दा उठाएगी?: सुखबीर बादल

सारांश
Key Takeaways
- सुखबीर बादल ने दाढ़ी पर प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठाई है।
- सिखों का धर्म पालन करने का अधिकार महत्वपूर्ण है।
- अमेरिकी रक्षा सचिव का बयान विवादास्पद है।
- भारत सरकार से शीघ्र पहल की अपेक्षा।
- धार्मिक स्वतंत्रता अमेरिकी लोकतंत्र का मूल है।
चंडीगढ़, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने रविवार को केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मांग की है कि अमेरिकी सेना में दाढ़ी पर प्रतिबंध के मुद्दे को वहां की सरकार के समक्ष उठाया जाए, ताकि सिख बिना किसी भेदभाव के अपने धर्म का पालन कर सकें।
विदेश मंत्री को भेजे गए एक पत्र में, शिअद अध्यक्ष ने कहा कि विश्वभर के सिख अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ के उस बयान से गहरे आहत और चिंतित हैं, जिसमें अमेरिकी रक्षा बलों में सेवा दे रहे सिखों के लिए दाढ़ी पर प्रभावी रूप से प्रतिबंध लगाया गया है।
उन्होंने मंत्री से अनुरोध किया कि इस मुद्दे को उचित स्तर पर उठाया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस भेदभावपूर्ण निर्णय को लागू न किया जाए और सिखों को अपने धर्म का पालन करने की अनुमति मिलती रहे।
सुखबीर बादल ने विदेश मंत्री का ध्यान अमेरिकी सेना में सिखों द्वारा पगड़ी, केश और दाढ़ी सहित पांच प्रमुख प्रतीकों, पांच ककारों के संबंध में अपनी धार्मिक पहचान बनाए रखने पर लगने वाले प्रतिबंध की ओर आकर्षित करते हुए, भारत सरकार से शीघ्र पहल करने की अपील की।
बादल ने कहा कि यह निर्णय अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता के सिद्धांत के खिलाफ है, जो अमेरिकी लोकतंत्र का मूल है।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार ने अमेरिकी सशस्त्र बलों के सिख सदस्यों के पगड़ी और दाढ़ी सहित अपनी धार्मिक पहचान के बाहरी प्रतीकों को बनाए रखने के अधिकार को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है। 2010 में दो सिख अधिकारियों, कैप्टन सिमरन प्रीत सिंह लांबा और डॉ. मेजर कमलजीत सिंह कलसी की याचिका को भी स्वीकार किया गया था।
बादल ने कहा कि विश्वभर के सिख इस संदर्भ में रक्षा सचिव के बयान से बहुत व्यथित और चिंतित हैं और इस मुद्दे के शीघ्र समाधान की आशा कर रहे हैं।