क्या सुप्रीम कोर्ट आज 2020 दिल्ली दंगा मामले में जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की दलीलें सुनेगा?

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क्या सुप्रीम कोर्ट आज 2020 दिल्ली दंगा मामले में जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की दलीलें सुनेगा?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट में 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में आरोपित छात्र नेताओं की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। दिल्ली पुलिस इस मामले में अपनी दलीलें पेश कर रही है, जिसमें दंगों को एक सुनियोजित साजिश बताया गया है। क्या जमानत मिलेगी या फिर सभी आरोपी यूएपीए के तहत रहेंगे कैद? जानें इस महत्वपूर्ण सुनवाई के बारे में।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट में 2020 के दंगा मामले की सुनवाई जारी है।
  • दिल्ली पुलिस ने इसे एक सुनियोजित साजिश बताया है।
  • आरोपित छात्र नेताओं ने यूएपीए के तहत जमानत याचिका दायर की है।
  • सुनवाई में पेश किए गए सबूत महत्वपूर्ण हैं।
  • दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले जमानत याचिकाएं खारिज की थीं।

नई दिल्ली, २४ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट में २०२० के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में यूएपीए के तहत आरोपित छात्र नेताओं (शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शिफा-उर-रहमान) की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई सोमवार को भी जारी रहेगी। सभी आरोपी यूएपीए के कठोर प्रावधानों के तहत गिरफ्तार हैं।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी कॉजलिस्ट के अनुसार, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ दिल्ली पुलिस की ओर से जमानत विरोध में पेश की जा रही दलीलों को आगे सुनेगी।

पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (जो दिल्ली पुलिस का पक्ष रख रहे हैं) ने कहा था कि २०२० की हिंसा कोई अचानक हुई सांप्रदायिक झड़प नहीं थी, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता पर हमला करने के लिए सुविचारित, सुनियोजित और योजनाबद्ध षड्यंत्र था।

उन्होंने कहा, "हमारे सामने यह कहानी रखी गई कि एक विरोध प्रदर्शन हुआ और उससे दंगे भड़क गए। मैं इस मिथक को तोड़ना चाहता हूं। यह स्वतःस्फूर्त दंगा नहीं था, बल्कि पहले से रचा गया, जो सबूतों से सामने आएगा।"

एसजी मेहता ने दावा किया कि जुटाए गए सबूत (जैसे भाषण और व्हाट्सएप चैट) दिखाते हैं कि समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की स्पष्ट कोशिश की गई।

उन्होंने विशेष रूप से शरजील इमाम के कथित भाषण का जिक्र करते हुए कहा, "इमाम कहते हैं कि उनकी इच्छा है कि हर उस शहर में चक्का जाम हो जहां मुसलमान रहते हैं।"

गुरुवार को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट में शरजील इमाम के भाषणों के वीडियो और दंगों के दृश्य प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि जांच में जो सामग्री सामने आई है, वह सोची-समझी और समन्वित साजिश को साबित करती है।

दिल्ली पुलिस ने अपने जवाबी हलफनामे में उमर खालिद को 'मुख्य साजिशकर्ता' बताया। पुलिस ने आरोप लगाया कि यह साजिश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान ध्यान आकर्षित करने के लिए रची गई थी।

हलफनामे में कहा गया, "इसका मकसद सीएए को भारत में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ सामूहिक अत्याचार के रूप में पेश करके इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाना था। ये मुद्दा जानबूझकर चुना गया था, ताकि इसे 'शांतिपूर्ण विरोध' के नाम पर छुपाकर, लोगों को कट्टरपंथी बनाने के लिए एक उत्प्रेरक (यानी, भड़काने वाली वजह) के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।"

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे हमारे समाज की एकता और अखंडता पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है। हमें यह समझना होगा कि राजनीति और न्याय का यह चक्र हमारे भविष्य को कैसे आकार देगा।
NationPress
24/11/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कब तक चलेगी?
सुनवाई सोमवार को भी जारी रहेगी, इसके बाद की स्थिति पर निर्णय लिया जाएगा।
यूएपीए क्या है?
यूएपीए का मतलब 'अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट' है, जो भारत में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए बनाया गया है।
क्या दिल्ली पुलिस ने कोई सबूत पेश किया है?
हाँ, दिल्ली पुलिस ने सबूतों में भाषण और व्हाट्सएप चैट शामिल किए हैं, जो साजिश को दर्शाते हैं।
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