क्या झारखंड में शिक्षकों की नियुक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कार्रवाई की?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया में हो रही देरी पर नाराजगी जताई है।
- 14 अगस्त तक परिणाम न आने पर अधिकारियों को कोर्ट में पेश होना होगा।
- अभ्यर्थियों की प्रतीक्षा की अवधि बढ़ती जा रही है।
- झारखंड में 26,001 सहायक आचार्य पदों के लिए नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है।
- कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि समय पर प्रक्रिया पूरी की जाए।
रांची/नई दिल्ली, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में सहायक आचार्य (शिक्षक) के 26,001 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया में विलंब को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि यदि 14 अगस्त तक सभी विषयों और वर्गों का फाइनल रिजल्ट जारी नहीं किया गया, तो 18 अगस्त को राज्य के मुख्य सचिव, जेएसएससी सचिव, शिक्षा सचिव और शिक्षा उप सचिव को न्यायालय में उपस्थित होना होगा।
अदालत ने यह निर्देश परिमल कुमार एवं अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। पिछले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को आदेश दिया था कि वह इस बहाली प्रक्रिया को एक माह के भीतर पूरा करे और अनुपालन रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करे। कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि यदि आदेश का पालन नहीं हुआ, तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन और अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने कोर्ट को बताया कि कक्षा 6 से 8 तक गणित एवं विज्ञान विषय में 5008 पदों के लिए केवल 1661 उम्मीदवारों का रिजल्ट जारी हुआ है, जबकि दस्तावेज़ सत्यापन के लिए 2734 अभ्यर्थियों को बुलाया गया था। इनमें से कई अभ्यर्थियों ने पासिंग मार्क्स से अधिक अंक प्राप्त किए, फिर भी उन्हें दस्तावेज़ सत्यापन में शामिल नहीं किया गया।
इतना ही नहीं, कक्षा 6 से 8 के सोशल साइंस विषय का रिजल्ट अब तक जारी नहीं किया गया है, जबकि कक्षा 1 से 5 तक के सहायक आचार्य पदों का परिणाम भी लंबित है। झारखंड में जेएसएससी ने सहायक आचार्यों के 26,001 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया वर्ष 2023 में प्रारंभ की थी। परीक्षाएं वर्ष 2023 और 2024 में विभिन्न चरणों में आयोजित की गई थीं। झारखंड हाईकोर्ट में एक पीआईएल दाखिल की गई थी, जिसमें बताया गया था कि सितंबर, 2025 तक रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।