क्या सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में राज्यों की चुप्पी पर नाराजगी जताई?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों की चुप्पी पर नाराजगी जताई है।
- प्रमुख सचिवों को 3 नवंबर को कोर्ट में पेश होना है।
- आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर में रखने का आदेश दिया गया है।
- नसबंदी, टीकाकरण और डि-वॉर्मिंग अनिवार्य किया गया है।
- मामला पूरे भारत में विस्तारित किया गया है।
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में राज्यों के द्वारा कोई जवाब नहीं देने पर नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने उन राज्यों के प्रमुख सचिवों को तलब किया है, जिन्होंने अब तक कोई उत्तर नहीं दिया।
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की तीन सदस्यीय बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और एमसीडी ने अब तक जवाब प्रस्तुत किया है। अन्य सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को 3 नवंबर को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि क्यों उत्तर नहीं दिया गया।
कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि अधिकारी अगली सुनवाई में उपस्थित नहीं होते हैं, तो उन पर दंड लगाया जाएगा या उन्हें दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
इस मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।
इससे पहले, 22 अगस्त को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं से आगे सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया था और उन्हें जवाब पेश करने का आदेश दिया था।
मामले की पृष्ठभूमि में, कोर्ट ने पहले एक दो सदस्यीय बेंच के माध्यम से दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया था। हालाँकि, इस आदेश पर विवाद के बाद, सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने इसमें संशोधन किया।
आवारा कुत्तों का मुद्दा तब चर्चा में आया, जब 11 अगस्त को जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने दिल्ली के नगर निगम अधिकारियों को आवारा कुत्तों को पकड़ने और 8 हफ्तों में 5,000 की क्षमता वाले शेल्टर बनाने का आदेश दिया।
इस आदेश में कुत्तों को फिर से सड़कों पर छोड़े जाने पर रोक लगाई गई, नसबंदी, टीकाकरण और डि-वॉर्मिंग अनिवार्य किया गया। यह भी निर्देश दिया गया कि शेल्टर में सीसीटीवी, पर्याप्त स्टाफ, खाने और स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाएं उपलब्ध हों। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का कुछ लोगों ने विरोध किया।
इसके बाद, यह मामला न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ को सौंप दिया गया। इस बेंच ने 22 अगस्त को 11 अगस्त के आदेश में संशोधन किया। कोर्ट ने आदेश दिया कि कुत्तों को शेल्टर से डि-वॉर्म और टीकाकरण के बाद छोड़ा जाएगा। इसके साथ ही, मामले का दायरा पूरे भारत में बढ़ा दिया गया।