क्या सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र सरकार के राहत पैकेज पर सवाल उठाए?

सारांश
Key Takeaways
- घोषणाएं पर्याप्त नहीं हैं, एक्शन जरूरी है।
- किसानों को वास्तविक लाभ मिलना चाहिए।
- सरकार की नीतियों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाना आवश्यक है।
मुंबई, ८ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की सांसद सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा हाल ही में घोषित ३१,६२८ करोड़ रुपए के बारिश-बाढ़ राहत पैकेज पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि हमें घोषणा नहीं, एक्शन चाहिए।
सुले ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “कुछ दिन पहले मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र में गई थी। वहां बहुत सी ऐसी बातें सामने आईं जो इस राहत पैकेज में शामिल नहीं हैं। यह जानकारी मुझे तहसीलदार कार्यालय से मिली है। मेरी पूरी कोशिश है कि किसानों को वास्तविक लाभ मिले, सिर्फ घोषणा भर न रह जाए।”
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि किसानों के खातों में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से पैसे जमा किए जाएंगे, लेकिन असल में यह कितना प्रभावी साबित होगा, यह दो से तीन दिनों में साफ हो जाएगा। सुले ने सवाल उठाया कि सरकार ने पहले भी कई घोषणाएं कीं, लेकिन उनमें से कितनी जमीन पर उतरीं, इसका जवाब आज तक नहीं मिला है।
सुप्रिया सुले ने तीखे लहजे में कहा, “हमें घोषणा नहीं, एक्शन चाहिए। सरकार ने पहले कहा था कि किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा, लेकिन क्या वह वादा पूरा हुआ? सिर्फ घोषणा करने से किसानों की हालत नहीं सुधरेगी। सरकार को अब धरातल पर उतरकर काम करना चाहिए।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नवी मुंबई एयरपोर्ट के उद्घाटन पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, “मेरी शुभकामनाएं हैं कि महाराष्ट्र में एक बड़ा एयरपोर्ट बन रहा है और मेट्रो परियोजना भी आगे बढ़ रही है। यह राज्य के विकास के लिए अच्छा कदम है।” हालांकि, उन्होंने सरकार से आग्रह किया, “महाराष्ट्र के किसान इस समय भारी संकट में हैं, इसलिए उन पर भी सरकार विशेष ध्यान दे और उनकी हर संभव मदद करे।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में २४ वर्ष पूरे होने (राज्य के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री के रूप में) पर प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रिया सुले ने कहा, “हर नेता कुछ न कुछ अच्छा काम करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी लंबे समय तक अच्छा काम किया है, इसके लिए उन्हें शुभकामनाएं। जब वे ७५ वर्ष के हुए थे, तब भी हमने उन्हें शुभकामनाएं दी थीं। राजनीति से ऊपर उठकर सराहना करना हमारे संस्कारों का हिस्सा है।”
सुले के इन बयानों से साफ है कि उन्होंने एक ओर जहां सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए तो वहीं राजनीतिक मर्यादा निभाते हुए प्रधानमंत्री के कार्यकाल की सराहना भी की।