क्या 'स्वागत' पिछले 22 वर्षों से गुजरात के नागरिकों का सरकार में विश्वास मजबूत कर रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- स्वागत कार्यक्रम ने नागरिकों के लिए शिकायतें प्रस्तुत करना सरल बनाया है।
- 99.10 प्रतिशत शिकायतों का सकारात्मक निपटान हुआ है।
- ऑटो एस्केलेशन मैट्रिक्स प्रणाली ने प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया है।
- मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा निगरानी से शिकायतों का त्वरित समाधान सुनिश्चित होता है।
- कई नीतिगत निर्णय इस कार्यक्रम के माध्यम से लिए गए हैं।
गांधीनगर, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नागरिकों और सरकार के बीच की दूरी को समाप्त करने के लिए टेक्नोलॉजी की शक्ति का पूर्ण उपयोग करते हुए, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल, 2003 को 'स्टेट वाइड अटेंशन ऑन ग्रिवेंसेज बाई एप्लिकेशन ऑफ टेक्नोलॉजी' (स्वागत) कार्यक्रम की शुरुआत की।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य सरल और प्रभावशाली था, ताकि नागरिक किसी भी डर, विलंब और प्रक्रियागत अवरोधों के बिना सरकार के सर्वोच्च स्तर पर अपनी शिकायतें सीधे प्रस्तुत कर सकें। 'स्वागत' ऑनलाइन जन शिकायत निवारण कार्यक्रम का दायरा अब जिला, तहसील और ग्रामीण स्तर तक विस्तारित हो चुका है। वर्तमान में, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल इस पहल को कुशलता से संचालित कर रहे हैं। 2003 से लेकर अब तक, 'स्वागत' प्लेटफॉर्म ने गुजरात के नागरिकों का राज्य सरकार में विश्वास मजबूती से बनाए रखा है। पिछले 22 वर्षों में, इस प्लेटफॉर्म पर प्राप्त 99.10 प्रतिशत आवेदनों का सकारात्मक निपटान किया गया है।
'स्वागत' को एक सक्रिय और जनता केंद्रित प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित किया गया था। अब, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में, समय और टेक्नोलॉजी के अनुसार 'स्वागत' प्लेटफॉर्म का विकास हुआ है। 25 दिसंबर, 2024 को राज्य के सभी जिलों और विभागों में 'स्वागत 2.0' ऑटो एस्केलेशन मैट्रिक्स पद्धति लागू की गई है और साथ ही 'स्वागत' ऑनलाइन मोबाइल एप्लिकेशन भी शुरू की गई है।
ऑटो एस्केलेशन मैट्रिक्स पद्धति को 'सुशासन दिवस' के उपलक्ष्य में 25 दिसंबर, 2023 को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया था। पायलट प्रोजेक्ट के बाद कुल 21,540 आवेदनों में से 90 प्रतिशत का सकारात्मक समाधान समय सीमा में किया गया। सफल पायलट के बाद, 'स्वागत 2.0' को 25 दिसंबर, 2024 को सभी जिलों में लॉन्च किया गया।
आधुनिक 'स्वागत' प्रणाली एक ऑटोमैटिक एस्केलेशन फ्रेमवर्क पर आधारित है, जो सुनिश्चित करता है कि शिकायतें किसी भी स्तर पर अवरुद्ध न हों। 'स्वागत 2.0' में नागरिकों की समस्याओं का निश्चित समय सीमा में गुणात्मक निवारण करने के लिए निपटान की समयसीमा निर्धारित की गई है। आवेदक की प्रस्तुति या शिकायत को ऑनलाइन माध्यम से संबंधित अधिकारी को भेजा जाता है, जिसकी निवारण की जिम्मेदारी होती है।
यदि शिकायत का निर्धारित समय सीमा में निवारण नहीं किया जाता है, तो वह शिकायत स्वचालित रूप से एक स्तर ऊपर के अधिकारी के लॉगिन में एस्केलेट हो जाती है। उच्च अधिकारी को शिकायत का निवारण करना अनिवार्य है। संतोषजनक निवारण के बाद ही शिकायत का अंतिम समाधान माना जाता है। इसके अलावा, आवेदक फीडबैक देकर अपनी शिकायत को एक स्तर ऊपर के अधिकारी को भी एस्केलेट कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) भी इन आवेदनों की सघन निगरानी करता है। पोर्टल में समय पर निवारण लाने के उद्देश्य से विभिन्न मॉनिटरिंग डैशबोर्ड बनाए गए हैं। अधिकारियों के प्रदर्शन की परख के लिए परफॉर्मेंस डैशबोर्ड भी तैयार किया गया है, जिससे पता चलता है कि किस जिले में किस प्रकार की शिकायतें अधिक संख्या में आती हैं।
'स्वागत' कार्यक्रम के माध्यम से कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय किए गए हैं, जिनमें किसान-उन्मुखी, भूमि अधिग्रहण, विद्यार्थी-उन्मुखी, गोचर भूमि अतिक्रमण, री-सर्वे और पुलिस से जुड़े निर्णय शामिल हैं।
पोरबंदर जिले की कुतियाणा तहसील के मोडदर गांव में 'स्वागत' कार्यक्रम के माध्यम से किसानों की वर्षों पुरानी समस्या का समाधान किया गया है। मोडदर गांव से पसवारी के बीच सुखभादर नदी पर पुल नहीं होने के कारण किसानों को पिछले 40 वर्षों से अपने खेतों तक पहुंचने में कठिनाई हो रही थी।
इस मामले में आवेदक लखमणभाई नवघणभाई मोडेदरा ने तहसील एवं जिला स्तर पर शिकायत की, और उनकी समस्या राज्य स्तरीय 'स्वागत' कार्यक्रम तक पहुंची। आवेदक ने पुल न होने के कारण 118 किसानों को 3,600 बीघा भूमि की खेती में आ रही कठिनाइयों को प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने पुल और सड़क का कार्य तत्काल पूरा करने के लिए सड़क एवं भवन सचिव तथा पोरबंदर जिला कलेक्टर को निर्देश दिए, जिसके फलस्वरूप मोडदर-पसवारी के बीच 9 करोड़ रुपये की लागत से माइनर ब्रिज, क्लवर्ट और तीन किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाएगा।
'स्वागत' ऑनलाइन जन शिकायत निवारण कार्यक्रम को समझने के लिए कई राज्यों के मुख्यमंत्री कार्यालयों के प्रतिनिधिमंडलों द्वारा जानकारी ली गई है। उन्होंने अपने राज्यों में भी इस प्रकार की सुविधा लागू करने की संभावनाओं पर चर्चा की।