क्या स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती का 'काला चिट्ठा' सच है? एफआईआर में कई खुलासे

सारांश
Key Takeaways
- स्वामी चैतन्यानंद पर गंभीर आरोप
- छात्राओं की सुरक्षा का उल्लंघन
- गुप्त कैमरे का इस्तेमाल
- कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता
- छात्राओं की आवाज़ सुनना जरूरी
नई दिल्ली, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ यौन शोषण के मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि चैतन्यानंद ने छात्राओं के साथ अशोभनीय व्यवहार किया और अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया।
एफआईआर के अनुसार, चैतन्यानंद ने छात्राओं को देर रात अपने निजी क्वार्टर में बुलाया। विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की छात्राओं को मिलने के लिए मजबूर किया जाता था। इसके अलावा, छात्राओं के हॉस्टल में गुप्त कैमरे लगाए गए थे, जिससे उनकी निजता का हनन हुआ।
आरोपों में यह भी कहा गया है कि एक छात्रा को उसकी इच्छा के विरुद्ध अपना नाम बदलने के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा, छात्राओं को विदेश यात्रा और स्वामी के निजी कक्ष में देर रात उपस्थित होने के लिए दबाव
सहयोगी डीन श्वेता और अन्य स्टाफ सदस्यों पर भी गंभीर आरोप हैं। एफआईआर के अनुसार, इन्होंने स्वामी के यौन आग्रहों को मानने के लिए छात्राओं पर दबाव बनाया और उनकी शिकायतों को नजरअंदाज किया। विरोध करने वाली छात्राओं को निलंबन और निष्कासन की धमकियां दी गईं। इतना ही नहीं, छात्राओं के माता-पिता को हस्तक्षेप करने से भी रोका गया।
एफआईआर में यह खुलासा हुआ है कि स्वामी और उनके सहयोगियों की ओर से छात्राओं को व्हाट्सऐप और एसएमएस के माध्यम से अश्लील और आपत्तिजनक संदेश भेजे जाते थे। इन संदेशों या यौन आग्रहों का विरोध करने पर छात्राओं को डिग्री रोकने और दस्तावेज न देने की धमकियां दी जाती थीं।
एफआईआर में यह भी उल्लेख किया गया है कि ७ छात्राओं में डर का माहौल है। वे सभी अलग-अलग प्रकार के यौन उत्पीड़न का शिकार हुई हैं। हालांकि, अब वे छात्राएं व्यक्तिगत रूप से सामने आने से डर रही हैं और अपने जीवन को खतरे में महसूस कर रही हैं। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।