क्या ताइवान ने जापान का हाथ थामकर कूटनीति का नया अध्याय शुरू किया?

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क्या ताइवान ने जापान का हाथ थामकर कूटनीति का नया अध्याय शुरू किया?

सारांश

ताइवान के राष्ट्रपति ने सुशी लंच की तस्वीरें साझा करके जापान के प्रति समर्थन दिखाया है। यह कदम चीन और जापान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक महत्वपूर्ण संकेत है। क्या यह कदम ताइवान और जापान के संबंधों को और मजबूत करेगा?

Key Takeaways

  • ताइवान का जापान के प्रति समर्थन
  • चीन का आर्थिक दबाव
  • सामूहिक आत्मरक्षा की संभावना
  • जापान और ताइवान के बीच गहरा रिश्ता
  • कूटनीतिक कदम का महत्व

ताइपे/नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने हाल ही में एक प्रतीकात्मक कदम उठाया है, जिसने चीन-जापान विवाद में उनके रुख को स्पष्ट किया है।

उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स (एक्स, फेसबुक और इंस्टाग्राम रील) पर जापानी सुशी लंच की तस्वीरें साझा कीं, जिसमें कागोशिमा की येलो टेल मछली और होक्काइडो के स्कैलप शामिल थे। साथ में उन्होंने लिखा, “आज सुशी और मिसो सूप,” और यह संदेश जापानी में भी दिया गया।

यह रणनीतिक कदम चीन और जापान के बीच बढ़ते तनाव के बीच उठाया गया है। चीन ने जापान पर आर्थिक दबाव बढ़ाया। जापानी मीडिया ने बुधवार को दावा किया कि बीजिंग ने जापानी समुद्री खाद्य पर बैन लगा दिया है। यह सब कुछ जापानी पीएम ताकाइची के ताइवान को लेकर दिए बयान के बाद उठाया गया है।

प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने कहा था कि “ताइवान में संकट का मतलब जापान में संकट है” और जापान सामूहिक आत्मरक्षा के नाम पर सैन्य कार्रवाई कर सकता है।

ताइवान, जापान के सबसे पश्चिमी द्वीपों से लगभग 110 किलोमीटर दूर और उन महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के पास स्थित है जिन पर टोक्यो तेल और गैस की आपूर्ति के लिए निर्भर है।

वहीं, ताइवान की सरकार, चीन के संप्रभुता के दावे को मानती नहीं है। चीन ने पहले ताइवान से अनानास और मछली पर प्रतिबंध लगाए थे, जिसे ताइवान दबाव का एक हथियार मानता है।

गुरुवार को ही ताइवान के विदेश मंत्री लिन चिया-लुंग ने संसद से निकलते वक्त कहा कि चीन की इस धमकाने वाली नीति को देखते हुए “अब जापान का समर्थन करना जरूरी है।” उनका मानना है कि चीन अपनी सैन्य और आर्थिक ताकत का इस्तेमाल करके अन्य देशों को डराने की कोशिश कर रहा है।

ताइवान और जापान का रिश्ता काफी गहरा है। दोनों देशों के बीच आधिकारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन उनके व्यापारिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा समझौते पुराने समय से मजबूत रहे हैं।

सुशी लंच का इशारा चर्चा में आ गया है। इसका मतलब साफ है: ताइवान न सिर्फ कूटनीतिक तौर पर जापान के साथ खड़ा है, बल्कि चीन की दबाव वाली रणनीति के सामने एक तरह की सार्वजनिक और प्रतीकात्मक प्रतिक्रिया देने से भी गुरेज नहीं कर रहा है।

Point of View

NationPress
26/11/2025

Frequently Asked Questions

ताइवान ने जापान का समर्थन क्यों किया?
ताइवान ने चीन के बढ़ते दबाव के खिलाफ जापान का समर्थन किया है।
क्या ताइवान और जापान के बीच राजनयिक संबंध हैं?
नहीं, दोनों देशों के बीच आधिकारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध मजबूत हैं।
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