क्या टीसीएस ने पुणे में २,५०० कर्मचारियों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया?

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क्या टीसीएस ने पुणे में २,५०० कर्मचारियों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया?

सारांश

एनआईटीईएस ने टीसीएस पर गंभीर आरोप लगाया है कि वह पुणे में २,५०० कर्मचारियों को इस्तीफा देने के लिए दबाव बना रही है। इस पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा गया है। जानें पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • टीसीएस पर आरोप लगने से कर्मचारियों के मनोबल पर असर पड़ा है।
  • कंपनी ने बर्खास्तगी की प्रक्रिया में औद्योगिक विवाद अधिनियम का उल्लंघन किया है।
  • कर्मचारी अपने वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं।
  • राज्य सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए।
  • टीसीएस ने अपने कर्मचारियों को उचित मुआवजा नहीं दिया।

नई दिल्ली, २ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नैसेंट आईटी एम्प्लॉइज सीनेट (एनआईटीईएस) ने टाटा समूह की आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) पर गंभीर आरोप लगाया है कि कंपनी पुणे में लगभग २,५०० कर्मचारियों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर रही है।

एनआईटीईएस एक ऐसा मंच है, जो आईटी सेक्टर के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है।

यह आरोप एनआईटीईएस के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे गए पत्र में लगाया गया है, जिसमें प्रभावित कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की माँग की गई है।

एनआईटीईएस के अनुसार, केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने महाराष्ट्र के श्रम सचिव से इस मामले की जांच करने को कहा है।

हालांकि, सलूजा ने कहा कि जमीनी स्तर पर स्थिति और भी गंभीर हो गई है, हाल के हफ्तों में पुणे में हजारों कर्मचारियों को कथित तौर पर अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।

एनआईटीईएस का कहना है कि इनमें से कई कर्मचारी मध्यम से वरिष्ठ स्तर के पेशेवर हैं, जिन्होंने टीसीएस में १० से २० साल बिताए हैं, और ज्यादातर की उम्र ४० साल से अधिक है।

फोरम ने आगे आरोप लगाया कि ये बर्खास्तगी औद्योगिक विवाद अधिनियम, १९४७ का उल्लंघन है, क्योंकि कंपनी ने सरकार को इसकी सूचना नहीं दी थी।

इसमें दावा किया गया है कि टीसीएस ने छंटनी मुआवजा नहीं दिया है और कर्मचारियों पर "स्वैच्छिक इस्तीफा" देने का दबाव डाला जा रहा है।

एनआईटीईएस ने कहा कि यह संकट सिर्फ संख्या का नहीं है, बल्कि उन परिवारों का भी है जिनके बच्चों की शिक्षा, घरेलू स्थिरता और वित्तीय सुरक्षा अब खतरे में है।

हालांकि, टीसीएस ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। एक बयान में, कंपनी ने कहा, "यहां साझा की गई जानकारी गलत और शरारतपूर्ण है। हमारे संगठन में कौशल को पुनर्गठित करने की हमारी हालिया पहल से केवल सीमित संख्या में कर्मचारी प्रभावित हुए हैं।"

कंपनी ने आगे कहा कि प्रभावित लोगों को उचित देखभाल और सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान किए गए हैं।

जून में, टीसीएस ने अपने वैश्विक कार्यबल में लगभग २ प्रतिशत की कटौती करने की योजना की घोषणा की थी, जो लगभग १२,२६१ नौकरियां शामिल थीं, जिनमें से अधिकांश मध्यम और वरिष्ठ स्तर पर थीं।

इस स्थिति को कई परिवारों के लिए "सबसे कठिन समय" बताते हुए, एनआईटीईएस ने मुख्यमंत्री फडणवीस से हस्तक्षेप करने, कथित अवैध बर्खास्तगी को रोकने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि सभी कर्मचारियों को कानून के तहत उनके उचित लाभ मिलें।

Point of View

बल्कि यह पूरे आईटी क्षेत्र के लिए भी एक चेतावनी है। कंपनियों को अपने कर्मचारियों के प्रति अधिक जिम्मेदार और संवेदनशील होना चाहिए। यह समय है कि हम इस मुद्दे को गंभीरता से लें और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

एनआईटीईएस क्या है?
एनआईटीईएस एक फोरम है जो आईटी सेक्टर के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है।
टीसीएस ने कितने कर्मचारियों को इस्तीफे के लिए मजबूर किया?
टीसीएस ने पुणे में लगभग २,५०० कर्मचारियों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने का आरोप है।
क्या टीसीएस ने आरोपों को स्वीकार किया है?
टीसीएस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि जानकारी गलत है।
क्या राज्य सरकार ने इस मामले में कार्रवाई की है?
हां, केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने इस मामले की जांच के लिए महाराष्ट्र के श्रम सचिव को निर्देशित किया है।
इस संकट का कर्मचारियों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
कर्मचारियों को नौकरी खोने के कारण आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।