क्या तेजस्वी के पत्रकारों के 'सूत्र' को 'मूत्र' कहने से बिहार शर्मसार हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव का बयान पत्रकारों की भूमिका को कमजोर करता है।
- दिलीप जायसवाल का बयान बिहार की राजनीतिक स्थिति को दर्शाता है।
- समाज में पत्रकारों की भूमिका को नकारना लोकतंत्र के लिए खतरा है।
मोतिहारी, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव द्वारा पत्रकारों के 'सूत्र' को 'मूत्र' कहने पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल बेहद नाराज नजर आ रहे हैं। उन्होंने इस बयान के संदर्भ में कहा कि इससे बिहार को अपमानित किया गया है। दिलीप जायसवाल ने सोमवार को मोतिहारी में पत्रकारों से संवाद करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर जिस प्रकार की अभद्र टिप्पणी की है, उससे बिहार का सिर शर्म से झुक गया है।
उन्होंने आगे कहा कि जो पत्रकार दिन-रात बिना किसी साधन-संसाधन के अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं और समाज की सच्चाई को उजागर करते हैं, उनके बारे में की गई यह टिप्पणी अत्यंत निंदनीय है। इधर, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी तेजस्वी यादव पर कटाक्ष किया।
सम्राट चौधरी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, "लालू प्रसाद के पुत्र यानी बड़बोले फिसड्डी लाल के बयानों में तिलमिलाहट और बौखलाहट साफ देखी जा रही हैं। जब भी वह माइक पर आते हैं, उनके चेहरे पर घबराहट और आवाज में कंपकंपी नजर आती है। इसके पीछे एक गंभीर कारण है- पहला, सामने आ रही हार का दबाव। दूसरा, विरासत की सियासत में तेजस्वी की व्याकुलता ने परिवार में गड़बड़ी कर दी है।"
उन्होंने आगे लिखा, "इसलिए, लूट के लिए एकजुट हुए ये लोग चाहे कितने भी झूठ का मुखौटा पहन लें, अगले कुछ महीनों में इनके बीच फूट निश्चित है।"
इससे पहले, तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में पत्रकारों के 'सूत्र' को 'मूत्र' कहने वाले बयान पर कायम रहते हुए भाजपा को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि भाजपा इस पर सवाल उठाने वाली कौन है। पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जो सूत्र के जरिए अफवाह फैलाने का कार्य करेगा, वह निश्चित रूप से मूत्र के समान है। उन्होंने कहा कि कई भाजपा के 'बाबा' कहते हैं कि मूत्र पीजिए तो क्या वह शुद्धि की बात है। उन्हें यह भी सलाह दी कि बेहतर होगा कि लोग मुद्दों पर बात करें।