क्या तेजस्वी यादव गैर-जिम्मेदाराना बयान दे सकते हैं? अखिलेश प्रसाद सिंह का जवाब

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव का मतदाता सूची से नाम हटाने का दावा
- अखिलेश प्रसाद सिंह का समर्थन
- चुनाव आयोग से रिकॉर्ड दुरुस्त करने की मांग
- एनडीए के दावों का खंडन
- मुकेश सहनी की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा
नई दिल्ली, 3 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के मतदाता सूची से नाम हटाए जाने के दावे का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि तेजस्वी एक जिम्मेदार नेता हैं, जो उपमुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता रह चुके हैं, इसलिए वह गैर-जिम्मेदार बयान नहीं दे सकते।
रविवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान, कांग्रेस सांसद ने बताया कि उन्हें विभिन्न जिलों से मतदाता सूची में अनियमितताओं की शिकायतें मिली हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से रिकॉर्ड को दुरुस्त करने और इन मुद्दों को हल करने की अपील की, ताकि विरोधाभास उत्पन्न न हों।
अखिलेश प्रसाद सिंह ने एनडीए के इस दावे का खंडन किया कि विपक्ष एसआईआर के मुद्दे पर लोगों को गुमराह कर रहा है क्योंकि वह चुनाव हार रहा है। उन्होंने कहा कि यह दावा गलत है, क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए ने कहा था कि वह बिहार की 40 में से 40 सीटें जीतेंगे। परिणाम में क्या निकला? केवल 30 सीटें ही जीत पाए, जबकि 10 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। 2019 में एनडीए ने 39 सीटें जीती थीं। 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच केवल 12 हजार वोटों का अंतर था।
2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 10 सीटें कम जीती हैं और उन्हें पता है कि महागठबंधन के पास 10 से 12 लाख अधिक वोट हैं।
सिंह ने इंडिया गठबंधन में मुकेश सहनी की नाराजगी के बारे में कहा कि उनकी अनुपस्थिति का कारण कोई व्यवस्थागत मुद्दा हो सकता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सहनी के गठबंधन छोड़ने की कोई बात नहीं सुनी गई। एनडीए में शामिल होने के बारे में वह खुद बता सकते हैं।
हाल में इंडिया ब्लॉक की बैठक में मुकेश सहनी ने दूरी बनाई थी, जिसके बाद पटना के राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई कि मुकेश सहनी एनडीए में शामिल हो सकते हैं।