क्या तेजस्वी यादव के बयान पर केसी त्यागी का पलटवार असभ्य था?

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव का विवादित बयान सियासत में हलचल ला रहा है।
- केसी त्यागी ने तेजस्वी के शब्दों की आलोचना की है।
- बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया की पारदर्शिता आवश्यक है।
- केवल भारतीय नागरिकों को ही मतदान का अधिकार है।
- पुलिस की तत्परता से अपराधियों को सजा मिलेगी।
नई दिल्ली, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में वोटर लिस्ट की वेरिफिकेशन को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। विपक्ष इसे गरीबों और वंचितों के अधिकारों को छीनने वाला कदम मान रहा है। इस बीच, तेजस्वी यादव के एक बयान ने सियासी माहौल को और गरमा दिया है।
तेजस्वी यादव का यह बयान तब आया जब यह दावा किया गया कि वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन में विदेशी नागरिकों के नाम भी शामिल हैं।
इस विवादित बयान पर जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द असभ्य और जंगली हैं।
जब मीडिया ने तेजस्वी से सवाल किया कि वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन में बांग्लादेशी और म्यांमार के नागरिकों के नाम कैसे शामिल हो गए हैं, तो तेजस्वी ने जवाब दिया कि इसका क्या आधार है। सूत्रों के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान के इस्लामाबाद में कब्जा कर लिया है। क्या यह सच है? इसी तरह, बिहार में वोटर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया का क्या आधार है?
केसी त्यागी ने तेजस्वी के बयान को गलत बताते हुए कहा कि केवल भारतीय नागरिक ही मतदान में भाग ले सकते हैं। यह एक संवैधानिक व्यवस्था है। सभी भारतीयों का मतदान सुनिश्चित होना चाहिए, जबकि विदेशी नागरिकों का नाम लिस्ट से हटाना आवश्यक है।
शुभांशु शुक्ला की भारत वापसी पर उन्होंने कहा कि उनका स्वागत है। उनकी अंतरिक्ष यात्रा वैज्ञानिकों की ऐतिहासिक सफलता है।
बिहार की कानून व्यवस्था पर उनके विचार थे कि जो घटनाएं हो रही हैं, वे दुर्भाग्यपूर्ण हैं। पुलिस की तत्परता ने अपराधियों को आराम से बैठने नहीं दिया है। सबको सजा मिलेगी।
दिल्ली सरकार द्वारा मीसा डॉक्यूमेंट को सार्वजनिक करने की तैयारी पर केसी त्यागी ने कहा कि आपातकाल भारतीय संविधान का एक काला अध्याय था, जिसमें केवल कुर्सी बचाने के लिए असंवैधानिक कदम उठाए गए थे।