क्या सरकार के इशारे पर बदला गया तेजस्वी यादव का 'ईपीआईसी' नंबर?

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव का ईपीआईसी नंबर बदला गया है।
- यह चुनाव आयोग की साजिश का संकेत हो सकता है।
- राज्य के अन्य निवासियों को भी ऐसे मामलों का सामना करना पड़ सकता है।
- चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठता है।
- बूथ स्तर पर वोटरों की जांच करनी चाहिए।
पटना, २ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर मत पत्रों की निरीक्षण प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाते हुए कहा है कि उनका ईपीआईसी नंबर बदला गया है। यदि उनके साथ ऐसा हो सकता है, तो फिर किसी के साथ भी ऐसा हो सकता है।
मीडिया से बातचीत करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि उनका ईपीआईसी नंबर (मतदाता पहचान पत्र संख्या) बदल दिया गया है। यह चुनाव आयोग की एक साजिश है। यदि उनके साथ यह हो सकता है तो राज्य के किसी भी व्यक्ति के साथ ऐसा हो सकता है। लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटे जा सकते हैं।
तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि हम चुनाव आयोग से यह जानना चाहते हैं कि मेरी तरह और कितने लोगों का ईपीआईसी नंबर बदला गया है, इस बारे में आंकड़ा प्रस्तुत करें।
उन्होंने यह आरोप लगाया कि सरकार के इशारे पर आयोग ने उनका ईपीआईसी नंबर बदला है। उनका कहना है कि ईपीआईसी नंबर का बदलना फर्जीवाड़े का संकेत है। कई आईएएस अधिकारी भी सोशल मीडिया पर यह दावा कर रहे हैं कि उनका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया है।
राजद नेता ने कहा कि चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह बूथ स्तर पर वोटरों की जांच करें। यह देखना चाहिए कि किस बूथ पर कितने लोगों की मृत्यु हुई है, कितने लोग राज्य से बाहर हैं या दूसरे राज्यों में स्थानांतरित हो गए हैं। इस संबंध में आंकड़े उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हम चुनाव आयोग से यह मांग करते हैं कि जिनका भी नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया है, उसका कारण बताया जाए।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले, चुनाव आयोग ने राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के बाद वोटर लिस्ट जारी की। इस प्रक्रिया में ६५ लाख मतदाताओं के नाम काटे गए हैं। इनमें से कुछ की मृत्यु हुई है, कुछ अन्य राज्यों में चले गए हैं, और कुछ का नाम दो स्थानों पर रजिस्टर पाया गया है।