क्या बिहार की जनता तेजप्रताप यादव के विचारों से सहमत है?

सारांश
Key Takeaways
- युवाओं की चिंताओं पर तेजप्रताप का ध्यान।
- महुआ सीट से चुनाव लड़ने की योजना।
- राजद में निष्कासन का मुद्दा पीछे छोड़ दिया।
- बिहार की कानून-व्यवस्था पर चिंता।
- समाजवादी पार्टी से पारिवारिक रिश्ते।
पटना, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। इसी बीच राजद नेता तेजस्वी यादव ने एसआईआर के विरोध में चुनाव बहिष्कार की घोषणा की है।
तेजस्वी यादव के इस ऐलान पर उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। राष्ट्र प्रेस से बातचीत में तेजप्रताप ने कहा, "यह तो आपको तेजस्वी से पूछना होगा कि वे एसआईआर के विरोध में चुनाव बहिष्कार की बात क्यों कह रहे हैं। मैं अब न तो पार्टी का हिस्सा हूं और न ही राजद का सदस्य, इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।"
उन्होंने आगे कहा, "एसआईआर की बातें चुनाव के मद्देनजर की जा रही हैं। ये मुद्दे पहले कहां थे? यह ऐसा लगता है कि इस कवायद का उद्देश्य समाजवादी विचारधारा के लोगों को बाहरी बताना है। लेकिन मैं यह जरूर कहूंगा कि बिहार की जनता डरी हुई नहीं है। वो समझ रही है कि क्या हो रहा है।"
राजद से छह साल के लिए निष्कासित होने के सवाल पर उन्होंने कहा, "इस साजिश के पीछे जो भी था, ईश्वर उसे देख रहा है। मैं उस मुद्दे से आगे बढ़ चुका हूं। मेरे लिए अब युवा मुद्दा महत्वपूर्ण है और अब मेरा ध्यान युवाओं और उनकी चिंताओं पर है।"
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में महुआ सीट से चुनाव लड़ने के संदर्भ में तेजप्रताप ने कहा, "मैं पहले भी वहां से चुनाव जीत चुका हूं और बिहार का स्वास्थ्य मंत्री रह चुका हूं। मैंने उस क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज भी बनवाया है। हमने वहां कई विकास कार्य किए हैं। इसलिए मैं फिर वहां से विधानसभा चुनाव लडूंगा। बिहार में कई युवा निर्दलीय राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं और मैं उनके लिए भी प्रचार करूंगा।"
समाजवादी पार्टी कार्यालय जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, "अखिलेश यादव से हमारे पारिवारिक रिश्ते बहुत पुराने हैं। मैं बस सपा नेताओं से मिलने गया था। मीडिया ने इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और दावा किया कि मैं पार्टी में शामिल हो रहा हूं।"
उन्होंने आगे कहा, "कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। सच कहूं तो अब जब कोई इसका जिक्र करता है तो मुझे हंसी आती है। कोई नहीं जानता कि कब और कहां कौन अपराधी हमला कर दे। अगर ऐसा ही चलता रहा तो जेडीयू की सत्ता में वापसी नामुमकिन है।"