क्या थंथाई पेरियार की 147वीं जयंती पर ओ. पन्नीरसेल्वम ने दी श्रद्धांजलि?

सारांश
Key Takeaways
- पेरियार की विरासत को याद करना महत्वपूर्ण है।
- सामाजिक न्याय पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
- अन्नाद्रमुक के भविष्य की रणनीतियाँ तैयार की जा रही हैं।
- कार्यकर्ताओं में एकजुटता की भावना को जागृत करना जरूरी है।
- सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को मजबूत करना प्राथमिकता है।
चेन्नई, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। थंथाई पेरियार की 147वीं जयंती के अवसर पर, पूर्व मुख्यमंत्री और कैडर अधिकार संरक्षण समिति के समन्वयक ओ. पन्नीरसेल्वम ने चेन्नई के अन्ना फ्लाईओवर पर पेरियार के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
इस मौके पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि पेरियार की सामाजिक न्याय और समानता की वकालत करने वाली विरासत को हमेशा याद रखा जाएगा।
पन्नीरसेल्वम ने यह भी बताया कि उनकी पार्टी जल्द ही एक उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित करेगी, जिसमें गठबंधन, चुनावी तैयारियां और भविष्य की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा कि वे पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद अपनी योजनाओं की जानकारी देंगे।
इसके अलावा, उन्होंने अन्नाद्रमुक की विरासत को संजोने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जो एमजीआर ने शुरू की थी और जिसे जयललिता ने एक जन आंदोलन का रूप दिया।
भाजपा की ओर से अन्नाद्रमुक को बचाने के संबंध में एडप्पादी पलानीस्वामी की हालिया टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए पन्नीरसेल्वम ने कहा कि डी.टी.वी. दिनाकरन पहले ही इस पर उचित जवाब दे चुके हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि पार्टी के पुनः एकीकरण और इससे जुड़े सभी सवालों का समाधान समय रहते किया जाएगा।
पेरियार को श्रद्धांजलि देने के बाद, पन्नीरसेल्वम ने कार्यकर्ताओं से पार्टी के लिए एकजुटता और मेहनत की अपील की। उन्होंने जोर देकर कहा कि अन्नाद्रमुक की मूल भावना को बनाए रखना उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इस मौके पर मौजूद कार्यकर्ताओं ने भी पेरियार के विचारों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
पन्नीरसेल्वम ने यह भी संकेत दिया कि उनकी पार्टी आने वाले समय में जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को मजबूत करने की दिशा में काम करेगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे पार्टी की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाएं ताकि पेरियार के सपनों को साकार किया जा सके। इस जयंती समारोह ने न केवल पेरियार को याद करने का मौका दिया, बल्कि अन्नाद्रमुक के भविष्य को लेकर भी नई उम्मीदें जगाईं।