क्या तितिक्शा श्रीवास्तव कंगना रनौत जैसी दिखती हैं, लेकिन वैसी हैं नहीं?
सारांश
Key Takeaways
- तितिक्शा श्रीवास्तव ने कई फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है।
- कंगना रनौत के साथ काम करना उनके लिए एक यादगार अनुभव रहा।
- टीवी और फिल्म के काम करने के तरीकों में बड़ा फर्क होता है।
- कंगना की मेहनत और अनुशासन की तारीफ की गई।
- पॉजीटिव से निगेटिव किरदार निभाना चुनौतीपूर्ण होता है।
मुंबई, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड फिल्म ‘धाकड़’ और ‘सेल्फी’ में अभिनय कर चुकीं अभिनेत्री तितिक्शा श्रीवास्तव ने सीरियल ‘जागृति: एक नई सुबह’ में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी, जहाँ उनके किरदार को दर्शकों ने बहुत पसंद किया। अब एक्ट्रेस ने अपने फिल्मी सफर, टीवी शो के अनुभव और अपने प्रारंभिक दिनों की कहानियाँ फैंस के साथ साझा की हैं।
तितिक्शा श्रीवास्तव ने फिल्म ‘धाकड़’ में कंगना रनौत के साथ काम किया। जब उनसे कंगना की पर्सनैलिटी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने राष्ट्र प्रेस को बताया कि “लोगों को जो लगता है, वे वैसी बिल्कुल भी नहीं हैं। धाकड़ उनकी फिल्म थी, लेकिन उन्होंने कभी किसी को कमतर महसूस नहीं होने दिया। उन्होंने अपनी जगह बनाए रखी और बाकी सभी को अपनी जगह दी। अर्जुन रामपाल सर और अन्य बड़े कलाकारों के साथ पूरी टीम ने बहुत सहजता से काम किया।”
उन्होंने कंगना की तारीफ करते हुए कहा कि वे बहुत डिसिप्लिन फॉलो करने वाली एक्ट्रेस हैं और एक्टिंग के मामले में शानदार हैं।
फिल्म धाकड़ के दिनों को याद करते हुए तितिक्शा ने बताया कि उन्होंने फिल्म में एसीओ की भूमिका निभाई थी। एक्शन सीन को शूट करने के लिए उन्होंने कंगना के साथ चार दिन तक प्रैक्टिस की थी। उनके साथ चार दिन काम करना मेरे लिए सबसे यादगार पलों में से एक रहा था।
उन्होंने यह भी बताया कि एक्शन सीन्स को फिल्माने के लिए कंगना ने हॉलीवुड से एक्शन निर्देशकों को बुलाया था।
टीवी सीरियल ‘जागृति: एक नई सुबह’ में काम करने के अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए तितिक्शा ने कहा कि फिल्मों और टीवी सीरियल में काम करने का तरीका बहुत अलग है।
सीरियल में काम करने का अनुभव काफी अच्छा रहा, हमने बच्चों के साथ शूटिंग की और सीरियल में काम कर रहे अनुभवी कलाकारों से काफी कुछ सीखा भी। बाद में जब मैंने शो में वापसी की, तो मेरे किरदार को पॉजीटिव से निगेटिव कर दिया गया। अचानक पॉजीटिव से निगेटिव किरदार को निभाना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी।
तितिक्शा श्रीवास्तव ने एक्टिंग में कदम रखने से पहले वकालत की पढ़ाई की थी। वकालत छोड़कर एक्टिंग में आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता हमेशा पढ़ाई के लिए जोर देते थे और कहते थे कि पढ़ाई कभी बेकार नहीं जाती। अब उनकी सलाह मानते हुए मैंने पहले वकालत की पढ़ाई की और फिर सेटल होने के बाद एक्टिंग में कदम रखा, लेकिन पहले मेरे इस फैसले को परिवार ने नहीं माना, लेकिन जब काम मिलने लगा तो सब धीरे-धीरे समझ गए।