क्या त्र्यंबकेश्वर में पितृ दोष और सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशेष अनुष्ठान होता है?

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क्या त्र्यंबकेश्वर में पितृ दोष और सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशेष अनुष्ठान होता है?

सारांश

त्र्यंबकेश्वर में पितृ दोष और सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशेष अनुष्ठान किया जाता है। यह अनुष्ठान आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण है। जानें कैसे यह पूजा तीन दिन चलती है और इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएँ।

Key Takeaways

  • त्र्यंबकेश्वर का अनुष्ठान पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है।
  • नारायण नागबली पूजा आत्माओं की शांति के लिए की जाती है।
  • तीन दिन का अनुष्ठान विशेष धार्मिक प्रक्रियाओं का हिस्सा है।
  • सर्प दोष से मुक्ति के लिए अंतिम संस्कार किया जाता है।
  • पितृ पक्ष में पूजा का विशेष महत्व है।

नासिक, ११ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबक क्षेत्र एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल है, जहाँ भगवान शिव का प्रसिद्ध त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मौजूद है। यह मंदिर पवित्र गोदावरी नदी के समीप ब्रह्मगिरी पर्वत पर स्थित है। पितृपक्ष के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु नारायण नागबली पूजा कराने के लिए आते हैं।

इस पूजा से पितृ दोष से मुक्ति पाने की मान्यता है। इस अनुष्ठान में ब्राह्मणों द्वारा विशेष विधि से पिंड दान और श्राद्ध किया जाता है।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में तीन मुख हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में पूजा जाता है।

यहाँ की एक अनोखी बात यह है कि शिवलिंग में हमेशा गोदावरी का पानी आता है। दर्शन के अलावा, यहाँ बड़ी संख्या में लोग नारायण नागबली पूजा करवाने के लिए भी आते हैं।

नारायण नागबली पूजा एक तीन दिवसीय हिंदू अनुष्ठान है, जो उन आत्माओं की शांति और मुक्ति के लिए किया जाता है, जिनके परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हुई हो, जैसे कि दुर्घटना, आत्महत्या या गंभीर बीमारी से।

यह अनुष्ठान मृत व्यक्ति की अधूरी इच्छाओं को पूरा करने में मदद करता है, जिससे उन्हें हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है। साथ ही यह पूजा नागों (सर्पों) की हत्या, चाहे वह अनजाने में ही क्यों न हुई हो, के दोष से भी मुक्ति दिलाने के लिए करवाई जाती है। इसमें सर्प की मूर्ति बनाकर उसका अंतिम संस्कार किया जाता है, जिससे नाग दोष समाप्त हो।

नारायण नागबली पूजा तीन दिनों तक चलती है, जिसमें पहले नारायण बली पूजा होती है, जो पितरों की आत्मा की शांति के लिए की जाती है और दूसरी नागबली, जो सर्प दोष से मुक्ति के लिए की जाती है।

अमावस्या और पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) में यह पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। हालाँकि, पूरे वर्ष में यह पूजा कभी भी कराई जा सकती है।

त्र्यंबकेश्वर में कई अनुभवी और प्रमाणित पुरोहित हैं, जो यह पूजा विधिपूर्वक कराते हैं। इस पूजा में गेहूं के आटे से बने सांप के शरीर का उपयोग किया जाता है, जिस पर मंत्रों का जाप करते हुए अंतिम संस्कार किया जाता है। पूजा के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और दक्षिना दी जाती है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि त्र्यंबकेश्वर का पितृ पक्ष अनुष्ठान न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह समाज में आत्मिक शांति और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने का एक माध्यम भी है। इस प्रकार के अनुष्ठान का आयोजन हमारे सामाजिक ताने-बाने को और मजबूत बनाता है।
NationPress
11/09/2025

Frequently Asked Questions

त्र्यंबकेश्वर में नारायण नागबली पूजा कब होती है?
यह पूजा विशेष रूप से पितृ पक्ष के दौरान होती है, लेकिन इसे पूरे वर्ष में कभी भी किया जा सकता है।
नारायण नागबली पूजा का उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य उन आत्माओं की शांति और मुक्ति है, जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो, साथ ही सर्प दोष से मुक्ति भी।
इस पूजा में क्या विशेष होता है?
इस पूजा में ब्राह्मणों द्वारा पिंड दान और श्राद्ध की प्रक्रिया की जाती है, और सर्प की मूर्ति का अंतिम संस्कार किया जाता है।