क्या टुनटुन ने दर्द भरे जीवन में हास्य की दुनिया में सफलता पाई?
सारांश
Key Takeaways
- उमा देवी खत्री का जीवन संघर्ष और हंसी से भरा था।
- उन्होंने हिंदी सिनेमा में कॉमेडी का नया रास्ता खोला।
- टुनटुन ने अपने नाम से एक नई पहचान बनाई।
- उनका गाना 'अफसाना लिख रही हूं' आज भी याद किया जाता है।
- उन्होंने कई प्रसिद्ध कलाकारों के साथ काम किया।
मुंबई, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी सिनेमा में जब भी हंसी और कॉमेडी की चर्चा होती है, तो कुछ चेहरे ज़हन में आ जाते हैं। उनमें से एक प्रमुख नाम है उमा देवी खत्री, जिन्हें प्यार से टुनटुन कहा जाता था। यह नाम एक फिल्म की शूटिंग के दौरान दिलीप कुमार के मजाक से उत्पन्न हुआ था। उमा देवी खत्री का जीवन संघर्षों से भरा था।
उनका जन्म 11 जुलाई 1923 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में हुआ। मात्र ढाई साल की उम्र में उनके माता-पिता की हत्या कर दी गई। बड़े भाई ने कुछ समय तक उनका ख्याल रखा, लेकिन नौ साल की उम्र में उनका भाई भी इस दुनिया से चला गया, जिससे वे अनाथ हो गईं।
उमा देवी ने अपनी किशोरावस्था में संगीत के प्रति रुचि विकसित की और फिर मुंबई आकर अपने करियर की शुरुआत की। संगीतकार नौशाद ने उन्हें फिल्म 'दर्द' में गाने का मौका दिया, जिसमें उनका गाना 'अफसाना लिख रही हूं' बहुत हिट हुआ।
उमा देवी अब एक प्रसिद्ध गायिका बन गईं। लेकिन शादी के बाद उन्होंने गायकी छोड़ दी। आर्थिक कठिनाइयों के चलते, नौशाद ने उन्हें अभिनय का सुझाव दिया। दिलीप कुमार के साथ उनकी पहली फिल्म में एक मजेदार घटना ने उन्हें टुनटुन के नाम से मशहूर कर दिया।
टुनटुन ने लगभग 200 फिल्मों में काम किया और कॉमेडी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उन्होंने 'आर-पार', 'बाबुल', 'मिस्टर एंड मिसेज 55' जैसी कई प्रसिद्ध फिल्मों में काम किया।
1992 में पति के निधन के बाद, उन्होंने धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली। 24 नवंबर 2003 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा। उनके संघर्ष और हंसी ने लाखों लोगों को प्रेरित किया।