क्या तुषार कपूर ने बिना बोले साइलेंट कैरेक्टर को पहचान दिलाने में सफलता पाई?
सारांश
Key Takeaways
- तुषार कपूर ने बिना बोले साइलेंट कैरेक्टर को पहचान दिलाई।
- उन्होंने गोलमाल फिल्म में अपनी कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों को लोटपोट किया।
- बड़े फिल्म परिवार से होने के बावजूद उन्हें कई संघर्षों का सामना करना पड़ा।
- तुषार ने निर्माता के रूप में भी सफलता हासिल की।
- उनकी निजी जिंदगी भी मीडिया में चर्चा का विषय रही है।
मुंबई, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड के कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो एक विशेष किरदार के माध्यम से दर्शकों के दिलों में स्थायी छाप छोड़ देते हैं। तुषार कपूर भी उन्हीं में से एक हैं।
हालांकि फिल्मी दुनिया में उनका सफर आसान नहीं रहा, लेकिन उन्होंने अपने अभिनय से कई चुनौतियों का सामना किया। शुरू में बतौर हीरो उन्होंने कई फिल्में की, जिनमें से कुछ ने सफलता पाई, जबकि अन्य औंधे मुंह गिर गईं। 'गोलमाल' में बिना डायलॉग के 'लकी' का किरदार निभाने के बाद उनकी कॉमिक टाइमिंग और चेहरे के हाव-भाव ने उन्हें दर्शकों का प्रिय बना दिया। इस किरदार ने उन्हें उन चुनिंदा कलाकारों में रखा जो बिना बोले साइलेंट कैरेक्टर को पहचान दिलाने में सफल हुए।
तुषार कपूर का जन्म 20 नवंबर 1976 को मुंबई में हुआ। वे प्रसिद्ध अभिनेता जितेंद्र और निर्माता शोभा कपूर के बेटे हैं। बचपन से ही उनका माहौल फिल्मी था, परंतु उन्होंने पढ़ाई पर भी ध्यान दिया। उन्होंने मुंबई के स्कूलों से शिक्षा प्राप्त की और आगे की पढ़ाई अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन से पूरी की। विदेश से लौटने के बाद उन्होंने अभिनय का सितारा चुना और मशहूर हस्तियों से प्रशिक्षण लेकर अपने कौशल को निखारा।
वर्ष 2001 में तुषार कपूर ने करीना कपूर के साथ फिल्म 'मुझे कुछ कहना है' से बॉलीवुड में कदम रखा। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की और तुषार को बेस्ट डेब्यू के लिए पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला। इस सफलता के बाद उन्होंने कई फिल्में की, जैसे 'क्या दिल ने कहा', 'कुछ तो है', 'जीना सिर्फ मेरे लिए', लेकिन इनमें से अधिकांश ने अपेक्षित प्रदर्शन नहीं किया।
बड़े फिल्म परिवार से होने के बावजूद लगातार फ्लॉप फिल्मों ने तुषार के करियर को झटका जरूर दिया, लेकिन उनका हौसला कभी कम नहीं हुआ।
लगभग पांच वर्षों के संघर्ष के बाद, उनके करियर की असली चमक 2006 में आई, जब रोहित शेट्टी ने उन्हें फिल्म 'गोलमाल' में 'लकी' के किरदार के लिए चुना। यह भूमिका किसी भी अभिनेता के लिए कठिन थी क्योंकि इसमें कोई संवाद नहीं था, केवल चेहरे के हाव-भाव थे। लेकिन तुषार ने इसे इतनी शानदार तरीके से निभाया कि दर्शक थिएटर में सीटियां बजाने लगे।
एक साइलेंट कैरेक्टर को इतनी सफलता मिलना दुर्लभ है। गोलमाल की सभी कड़ियों में तुषार लकी के रूप में नजर आए और कई बार फिल्म का मजा उनके किरदार पर ही टिक जाता था।
इसके अलावा, तुषार ने कई मल्टीस्टारर फिल्मों जैसे 'खाकी', 'शूटआउट एट वडाला', 'द डर्टी पिक्चर', और 'क्या सुपर कूल हैं हम' में भी काम किया। इनमें उनकी कॉमिक टाइमिंग की बहुत सराहना की गई। हालांकि बतौर लीड अभिनेता उन्हें वह सफलता नहीं मिली, जिसकी उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने इस कमी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
समय के साथ, उन्होंने खुद को निर्माता के रूप में भी स्थापित किया और अक्षय कुमार की फिल्म 'लक्ष्मी' का निर्माण किया।
तुषार की निजी जिंदगी भी कम दिलचस्प नहीं है। उन्होंने बिना शादी के आईवीएफ के जरिए बेटे लक्ष्य का स्वागत किया और बॉलीवुड के पहले सिंगल फादर में शामिल हो गए।