क्या 1969 से डीएमके जवाबदेही से बचती आई है, 2026 में जनता देगी जवाब?
सारांश
Key Takeaways
- करूर भगदड़ पर विजय का तीखा बयान।
- राज्य सरकार पर जवाबदेही का आरोप।
- 2026 के चुनाव में जनता की प्रतिक्रिया का संकेत।
चेन्नई, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु में हुई करूर भगदड़ की घटना के बाद राज्य की राजनीति में बयानबाजी का दौर जारी है। टीवीके प्रमुख विजय ने बुधवार को इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री पर तीखा हमला किया।
विजय ने कहा कि करूर की घटना में जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनका दुख शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, "हमने अपने परिजनों को खोने का गहरा दुख झेला है। इस शोक के समय हमने चुप्पी साधने का निर्णय लिया था, लेकिन सरकार ने हमें शांति से शोक मनाने का भी अवसर नहीं दिया। सत्ता पक्ष ने इस दुखद समय में भी राजनीति की।"
विजय ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु विधानसभा में उनके खिलाफ लगातार भड़काने वाले बयान दिए गए। उन्होंने कहा कि 15 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में जिस कठोर भाषा का इस्तेमाल किया, वह किसी संवेदनशील नेता को शोभा नहीं देती।
उन्होंने आगे कहा, "मुख्यमंत्री अक्सर कहते हैं कि वे राजनीति नहीं करते, लेकिन उनका भाषण हमारे प्रति गहरी शत्रुता दर्शाता है। अब समय आ गया है कि उन उकसावों का जवाब दिया जाए।"
अपने बयान में विजय ने राज्य की राजनीतिक संस्कृति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 1969 से, विशेष रूप से 1972 के बाद से, तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी को जवाबदेही से दूर रहने की आदत हो गई है। उन्होंने दावा किया कि जनता का भरोसा अब पूरी तरह से टूट चुका है।
उन्होंने कहा, "जनता का विश्वास इस सरकार से उठ चुका है। मुझे उम्मीद है कि मुख्यमंत्री इस सच्चाई को समझेंगे। यदि नहीं समझे तो 2026 के चुनाव में जनता उन्हें सबक सिखाने में देर नहीं करेगी।"
राज्य में 2026 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और ऐसे बयानों से राजनीतिक तापमान बढ़ने की संभावना है। टीवीके प्रमुख विजय के इस बयान को चुनावी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।