क्या मराठी और महाराष्ट्र के हित के लिए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे साथ रहेंगे?

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क्या मराठी और महाराष्ट्र के हित के लिए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे साथ रहेंगे?

सारांश

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एकजुटता दिखाई है, यह कहते हुए कि मराठी और महाराष्ट्र के हित के लिए वे साथ रहेंगे। भाषा विवाद के बीच, उद्धव ने भाजपा पर तीखा हमला किया और हिंदी को थोपने का विरोध किया। यह कहानी एक नई राजनीतिक दिशा को दर्शाती है।

Key Takeaways

  • उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच एकता
  • मराठी भाषा का संरक्षण
  • हिंदी को थोपने का विरोध
  • भाजपा पर तीखा हमला
  • राजनीतिक ध्रुवीकरण के बीच एकता की आवश्यकता

मुंबई, ५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद के बीच, शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने शनिवार को यह स्पष्ट किया कि मराठी और महाराष्ट्र के हित में वे और राज ठाकरे एक साथ रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में हिंदी को थोपने की कोई कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

उद्धव ठाकरे ने अपने बयान में कहा कि वे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे के साथ मिलकर मराठी भाषा, मराठी मानुष और महाराष्ट्र के संरक्षण के लिए एकजुट हैं और यह एकजुटता की एक नई शुरुआत है। वे बालासाहेब ठाकरे के सपनों को साकार करने के लिए भविष्य में एक साथ रहेंगे।

शिवसेना (यूबीटी) और मनसे द्वारा आयोजित 'विजय रैली' में उद्धव ने कहा, "मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हमारे बीच की दूरी को समाप्त किया है। अब मैं आशा करता हूं कि वे हमें विभाजित करने की कोशिश नहीं करेंगे। हम एक साथ रहने के लिए एकत्र हुए हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को जबरन थोपना नहीं सहा जाएगा।

उद्धव ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि वे अपने सहयोगियों का उपयोग केवल अपने लाभ के लिए करते हैं।

उद्धव ने कहा, "मेरे पिता ने इस पाखंड के खिलाफ संघर्ष किया था। अब हम दोनों (उद्धव और राज) मिलकर भाजपा को सत्ता से बाहर करेंगे। भाजपा का काम है इस्तेमाल करना और फेंकना। अगर बालासाहेब ठाकरे का आशीर्वाद भाजपा पर नहीं होता, तो ये लोग कहां होते?"

उन्होंने भाजपा के उन आरोपों का भी जवाब दिया, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने हिंदुत्व छोड़ दिया। उद्धव ने कहा, "हमने न तो हिंदुत्व छोड़ा है और न ही मराठी गौरव के लिए लड़ने का संकल्प। हिंदुत्व किसी एक भाषा का एकाधिकार नहीं है। हम, जो शुद्ध मराठी बोलते हैं, आपसे ज्यादा देशभक्त हिंदू हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि जब वे मुख्यमंत्री थे, तब मराठी भाषा को अनिवार्य बनाया गया था और मराठी भवन का निर्माण शुरू किया गया था। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने इसे बाद में रद्द कर दिया।

मुख्यमंत्री फडणवीस की चेतावनी का जिक्र करते हुए उद्धव ने कहा, "अगर महाराष्ट्र में कोई मराठी व्यक्ति न्याय मांगता है और आप उन्हें गुंडा कहते हैं, तो हम गुंडे हैं। मुंबई हमारा अधिकार है, हमने इसके लिए संघर्ष किया और इसे प्राप्त किया। हमने कश्मीर में धारा 370 हटाने का समर्थन किया था। हम हिंदी को जबरन नहीं थोपते, लेकिन अगर कोई महाराष्ट्र में मराठी का विरोध करेगा, तो उसका जवाब दिया जाएगा।"

उन्होंने भाजपा और शिवसेना पर तंज कसते हुए कहा, "कुछ लोग कहते हैं कि उनका ‘एममराठी का नहीं, बल्कि म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का ‘एम’ है, लेकिन हमारे लिए ‘एम’ का मतलब महाराष्ट्र है।"

उद्धव ने कहा, "सत्ता आती-जाती रहती है, लेकिन एकता ही ताकत है।"

उद्धव ने भाजपा के चुनावी नारे ‘बटेंगे तो कटेंगे’ की भी आलोचना की और उन पर मराठी लोगों के बीच फूट डालने का आरोप लगाया।

Point of View

बल्कि यह समाज में भाषाई पहचान के महत्व को भी उजागर करती है। राजनीतिक एकता का यह प्रयास हिंदुत्व और मराठी संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का एकजुट होना क्यों महत्वपूर्ण है?
यह एकजुटता मराठी भाषा और संस्कृति की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर क्या आरोप लगाए?
उद्धव ने भाजपा पर अपने सहयोगियों का इस्तेमाल केवल अपने लाभ के लिए करने का आरोप लगाया।
क्या उद्धव ठाकरे ने हिंदी को थोपने का विरोध किया?
हां, उन्होंने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र में हिंदी को जबरन थोपना सहन नहीं किया जाएगा।