क्या उद्धव और राज ठाकरे के एक साथ आने से महायुति को कोई समस्या होगी?

सारांश
Key Takeaways
- उद्धव और राज ठाकरे का एक साथ आना महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव है।
- भरत गोगावले का मानना है कि महायुति को इससे कोई समस्या नहीं होगी।
- राजनीतिक संबंधों में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।
मुंबई, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के सियासी परिवार के दो भाई उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आए हैं। दोनों भाइयों ने शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित ‘विजय रैली’ में मंच साझा किया। इस घटनाक्रम ने राज्य में सियासी हलचल को बढ़ा दिया है और नेताओं की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
शिवसेना शिंदे गुट के नेता और महाराष्ट्र के मंत्री भरत गोगावले ने ठाकरे भाइयों के एक साथ आने पर कहा, "यह एक सकारात्मक बदलाव है कि दोनों भाई एक साथ आए हैं। किसी न किसी मोड़ पर यह होना ही था। उनके एक साथ आने से महायुति को कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि हम जनता के सेवक हैं। जनता ने हमें स्वीकार किया है। महानगर पालिका, जिला परिषद और नगर पालिका चुनावों में हमें जनता का प्यार मिलेगा, इसलिए हमें चिंता नहीं है।"
उन्होंने यह भी कहा कि जो बाला साहेब ठाकरे नहीं कर सके, वह देवेंद्र फडणवीस ने कर दिया है। दोनों भाई साथ आ गए हैं, और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं, लेकिन यह देखना होगा कि वे कितने दिन साथ रहेंगे।
वहीं, अर्जुन खोतकर ने जालना में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उद्धव और राज ठाकरे का एक साथ आना कोई बुरी बात नहीं है। जब एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं, तो ये दोनों एक ही म्यान में कैसे रहेंगे?
उन्होंने आगे कहा, "लोकतंत्र में किसके साथ जाना है, यह हर किसी का अधिकार है। उद्धव और राज ठाकरे के एक साथ आने से किसी ने नहीं रोका; वे खुद ही अलग हुए थे। उन्होंने मराठी भाषा का मुद्दा उठाया है, और हम भी मराठी भाषा को बढ़ावा देते हैं, इसलिए उनके एक साथ आने से कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा।"