क्या उदित नारायण ने हिंदी-मराठी विवाद पर दिया संतुलित बयान?

सारांश
Key Takeaways
- सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए।
- स्थानीय संस्कृति का सम्मान करना आवश्यक है।
- राजनीतिक लाभ के लिए हंगामा नहीं करना चाहिए।
- भारतीय एकता को बनाए रखना जरूरी है।
- सकारात्मक संवाद और सहिष्णुता से समस्याओं का समाधान संभव है।
मुंबई, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी के बीच उठे विवाद पर उदित नारायण ने एक संतुलित और महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने समाज से अपील की है कि सभी संस्कृतियों का सम्मान किया जाना चाहिए।
गायक ने इस मुद्दे पर राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में निवास करने की वजह से स्थानीय भाषा और संस्कृति का आदर करना आवश्यक है। लेकिन, उन्होंने यह भी बताया कि हमें भारत की अन्य भाषाओं का भी सम्मान करना चाहिए।
उदित ने कहा, "यदि आप महाराष्ट्र में रहते हैं, तो आपको मराठी भाषा और वहां की संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। साथ ही, हमें भारत की अन्य भाषाओं का भी सम्मान करना चाहिए।"
उन्होंने आगे बताया, "क्योंकि मैं महाराष्ट्र में रहता हूँ और यह मेरी कर्मभूमि है, इसलिए यहां की भाषा मेरे लिए विशेष है। लेकिन, भारत की सभी भाषाएं, जैसे मराठी, भी बराबर सम्मान की हकदार हैं।"
इससे पहले, कंगना रनौत ने भी इस विषय पर अपनी राय दी थी। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए हंगामा पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
कंगना ने मराठी और हिमाचली लोगों की तुलना करते हुए कहा, "महाराष्ट्र के लोग, विशेषकर मराठी लोग, बहुत प्यारे और सादगीपूर्ण होते हैं, जैसे हमारे हिमाचली लोग। कुछ लोग राजनीति में अपनी रोटी सेंकने के लिए हंगामा करते हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम सब एक देश के नागरिक हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के लोग सभी हिमाचल आते हैं। वे कितने भोले और सीधे होते हैं। हमें अपने देश की एकता को नहीं भूलना चाहिए।"
ज्ञात रहे कि महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी का विवाद बढ़ता जा रहा है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में हिंदी पढ़ाने का एक आदेश जारी किया। इस आदेश के तहत पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी पढ़ना अनिवार्य किया गया। इसके बाद विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी, और अंततः राज्य सरकार ने इस आदेश को वापस ले लिया।