क्या बिहार विधानमंडल में मतदाता पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष का हंगामा बढ़ेगा?

सारांश
Key Takeaways
- विपक्ष का हंगामा लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।
- मतदाता पुनरीक्षण में पारदर्शिता की आवश्यकता है।
- सरकार को जनता के मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
पटना, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्ष के सदस्यों ने विधानसभा के अंदर और बाहर मतदाता सूची में गहन परीक्षण को लेकर जमकर हंगामा किया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे।
उनका आरोप है कि मतदाता पुनरीक्षण के नाम पर मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं। सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले विधानमंडल परिसर में विपक्षी सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर हंगामा किया। राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि एसआईआर को लेकर विपक्षी दलों का प्रदर्शन एकदम जायज है और यह विरोध चलता रहेगा।
उन्होंने कहा कि जिस तरीके से एनडीए की सरकार में जनता के मुद्दे को अलग कर दिया जा रहा है, चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, लेकिन वह एनडीए के इशारे पर काम कर रही है। लोकतंत्र खतरे में है। जिस देश का लोकतंत्र खतरे में हो उस देश का क्या हाल होगा? उन्होंने मीडिया को भी इसको लेकर सजग होने की बात कही।
इधर, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा कि सदन के अंदर एसआईआर का विरोध होगा। भ्रष्टाचार, लॉ एंड ऑर्डर और मतदाता पुनरीक्षण का मुद्दा अहम है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि यहां गुंडाराज कायम है। सरकार फ्रस्ट्रेशन में है। मतदाता पुनरीक्षण का मुख्य मुद्दा है। सरकार इन सभी मुद्दों पर सदन में विस्तृत चर्चा करवाए।
राजद विधायक सतीश दास ने बिहार सरकार के मंत्री और भाजपा नेता जीवेश मिश्रा के बर्खास्तगी को लेकर एक अलग तरीके से विरोध किया। वे अपने गले में दवाइयों का माला डालकर पहुंचे।
इस दौरान उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के मंत्री जीवेश मिश्रा को राजस्थान के कोर्ट ने नकली दवाई का दोषी पाया है। वह नकली दवाई का कारोबार करते हैं और ऐसे मंत्री को अभी तक 20 दिन के बाद भी बर्खास्त नहीं किया गया है, जो मौत के सौदागर हैं। उल्लेखनीय है कि विधानमंडल का मानसून सत्र शुक्रवार तक चलना है। इस सत्र के काफी हंगामेदार होने की संभावना है।