क्या उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में भगवान धन्वंतरि की पूजा से दीपावली पर्व की शुरुआत हुई?

सारांश
Key Takeaways
- भगवान धन्वंतरि की पूजा से दीपावली पर्व की शुरुआत होती है।
- यह पूजा सुख-समृद्धि और आरोग्य की कामना के लिए की जाती है।
- मंदिर में सामूहिक पूजन का आयोजन किया गया।
- श्रद्धालुओं में उत्साह और भक्ति का माहौल बना रहा।
- यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
उज्जैन, १८ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार को धनतेरस (धनत्रयोदशी) के पावन अवसर पर भगवान धन्वंतरि का विशेष पूजन किया गया। यह पूजन सुख-समृद्धि और आरोग्य की कामना के साथ मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार विधि-विधान से संपन्न हुआ।
इसके साथ ही पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत भी हुई, जो उत्साह के साथ मनाया जाएगा।
मंदिर की पुरोहित समिति के २२ पुजारियों ने सामूहिक रूप से भगवान महाकाल और धन्वंतरि का महापूजन किया। इस दौरान राष्ट्र, भक्तों के कल्याण, धन-धान्य और स्वास्थ्य की प्रार्थना की गई। पूजन के बाद प्राचीन रिवाज के तहत ब्राह्मणों को चांदी के सिक्कों से सम्मानित किया गया। यह परंपरा महाकाल को राजा मानकर देश और प्रजा की खुशहाली के लिए चली आ रही है।
इस अवसर पर उज्जैन के कलेक्टर रोशन कुमार सिंह, मंदिर प्रशासक, पुलिस अधीक्षक और अन्य प्रशासनिक अधिकारी अपने परिवार के साथ उपस्थित रहे। उन्होंने भगवान के चरणों में शीश नवाकर सबके लिए मंगलकामना की।
कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने कहा, "आज धनतेरस है। मैं सभी को बधाई देता हूं। महाकालेश्वर मंदिर से पूजन की शुरुआत हुई, जिसमें मुझे शामिल होने का सौभाग्य मिला। हर साल की तरह इस बार भी यह परंपरा निभाई गई। आपके माध्यम से पूरे जिले की समृद्धि की कामना करता हूं।"
पंडित गौरव शर्मा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया, "दीपावली की शुरुआत हो चुकी है और धनतेरस इसका महत्वपूर्ण त्योहार है। लोग सुख-शांति के लिए घर में दीप जलाते हैं। आज महाकालेश्वर मंदिर से यह परंपरा शुरू हुई। राष्ट्र कल्याण के लिए दीपोत्सव का आयोजन हुआ। भगवान भोलेनाथ सब पर आशीर्वाद बनाए रखें, सभी के घर में मंगल हो। पहले लोग धनतेरस पर चांदी खरीदते थे, यह रिवाज आज भी जारी है।"
श्रद्धालुओं में उत्साह देखा गया। मंदिर परिसर में विशेष सजावट और भक्ति का माहौल रहा। इस पूजन से शहर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ है।