क्या 'उल्लास' से ग्रामीण और महिला साक्षरता में वृद्धि हो रही है? प्रधानमंत्री मोदी ने जयंत चौधरी का लेख साझा किया

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क्या 'उल्लास' से ग्रामीण और महिला साक्षरता में वृद्धि हो रही है? प्रधानमंत्री मोदी ने जयंत चौधरी का लेख साझा किया

सारांश

प्रधानमंत्री मोदी ने 'उल्लास' कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण और महिला साक्षरता में हुई उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डाला है। जानें, कैसे इस कार्यक्रम ने शिक्षा के अवसरों को बढ़ाया है और भारत को 2030 के सतत विकास लक्ष्यों के करीब लाया है।

Key Takeaways

  • उल्लास कार्यक्रम ने ग्रामीण और महिला साक्षरता में वृद्धि की है।
  • 2.8 करोड़ से अधिक लोग इस कार्यक्रम से जुड़े हैं।
  • सरकार ने साक्षरता की परिभाषा में डिजिटल साक्षरता को जोड़ा है।
  • यह कार्यक्रम 2030 के सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में एक कदम है।
  • महिला साक्षरता 65.4% से बढ़कर 74.6% हो गई है।

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘समाज में सभी के लिए आजीवन शिक्षा को समझना’ (उल्लास) कार्यक्रम के परिवर्तनकारी प्रभाव की सराहना की है। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी का एक लेख साझा किया, जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत 2022 में आरंभ किए गए इस कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण समुदायों और महिलाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित करने का उल्लेख किया गया है।

केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत चौधरी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट के उत्तर में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, “इस लेख में राज्य मंत्री जयंत चौधरी बताते हैं कि कैसे एनईपी 2020 के अनुरूप 2022 में शुरू किया गया 'उल्लास' कार्यक्रम वयस्कों के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करता है।”

पीएम मोदी ने लिखा, “उन्होंने (जयंत चौधरी) इस बात पर प्रकाश डाला कि 'उल्लास' कार्यक्रम के प्रभाव ने ग्रामीण और महिला साक्षरता में वृद्धि की है, जिससे भारत 2030 तक संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साक्षरता लक्ष्य को प्राप्त करने की राह पर है।”

जयंत चौधरी ने अपने लेख की शुरुआत जर्मन मनोचिकित्सक और मनोविश्लेषक फ्रिट्ज पर्ल्स के ‘सीखना उस चीज की खोज है जो संभव है’ शब्दों के साथ की।

उन्होंने लिखा, “हर समाज में सीखने का एक चक्र होता है। इसके भीतर रहने वाले लोग पढ़ सकते हैं, समझ सकते हैं और काम कर सकते हैं, लेकिन जो लोग इसके बाहर रह जाते हैं, वे दूसरों पर निर्भर रहते हैं कि वे बोलें और अपने लिए निर्णय लें। साक्षरता वह रेखा है, जो इन दोनों को अलग करती है।”

जयंत चौधरी ने मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में रहने वाली दीया बाई का किस्सा बताया, जो बैंक में पैसे निकालने के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहती थीं, लेकिन आज वह न सिर्फ खुद यह काम करती हैं, बल्कि अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी उन लाभों का लाभ उठाने में मार्गदर्शन करती हैं।

उन्होंने आगे लिखा, “इसी विश्वास के कारण उल्लास (यूएलएलएसी), 'समाज में सभी के लिए आजीवन शिक्षा की समझ' की स्थापना हुई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप 'उल्लास' को 2022 में 15 साल और उससे अधिक आयु के उन वयस्कों को शैक्षिक अवसर प्रदान करने के लिए लॉन्च किया गया था, जो औपचारिक स्कूली शिक्षा से वंचित रह गए।”

जयंत चौधरी ने जानकारी दी कि 2022 में शुरू हुए इस कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 2.8 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी और 45 लाख स्वयंसेवक जुड़ चुके हैं।

सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि 'उल्लास' का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। ग्रामीण साक्षरता 2011 के 67.7 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 77.5 प्रतिशत हो गई है। महिला साक्षरता 65.4 प्रतिशत से बढ़कर 74.6 प्रतिशत हो गई है।

मंत्री ने कहा कि अगस्त 2024 में शिक्षा मंत्रालय ने साक्षरता की परिभाषा को विस्तृत करते हुए इसमें डिजिटल साक्षरता, वित्तीय ज्ञान और गणना कौशल को शामिल किया है। यह कदम संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 4.6 को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जिसके अनुसार 2030 तक सभी युवाओं और अधिकांश वयस्कों को साक्षर और संख्यात्मक दक्ष बनाना अनिवार्य है।

Point of View

हम यह मानते हैं कि 'उल्लास' कार्यक्रम ने ग्रामीण और महिला साक्षरता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह सरकार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो शिक्षा के क्षेत्र में समृद्धि की ओर ले जा रहा है। हमें इस पहल को समर्थन देना चाहिए ताकि हर व्यक्ति को शिक्षा का लाभ मिले।
NationPress
06/10/2025

Frequently Asked Questions

उल्लास कार्यक्रम क्या है?
उल्लास कार्यक्रम शिक्षा के अवसरों को बढ़ाने के लिए 2022 में शुरू किया गया था, जिसका लक्ष्य ग्रामीण और महिला साक्षरता को बढ़ाना है।
इस कार्यक्रम का प्रभाव कितना है?
'उल्लास' कार्यक्रम से ग्रामीण साक्षरता 67.7% से बढ़कर 77.5% और महिला साक्षरता 65.4% से बढ़कर 74.6% हो गई है।
इसमें कितने लोग शामिल हैं?
इस कार्यक्रम के तहत अब तक 2.8 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी और 45 लाख स्वयंसेवक शामिल हो चुके हैं।
क्या यह कार्यक्रम डिजिटल साक्षरता को भी शामिल करता है?
जी हां, अगस्त 2024 में शिक्षा मंत्रालय ने साक्षरता की परिभाषा में डिजिटल साक्षरता और वित्तीय ज्ञान को शामिल किया है।
इसका उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य 2030 तक सभी युवाओं और अधिकांश वयस्कों को साक्षर और संख्यात्मक दक्ष बनाना है।