क्या बिहार में चुनाव आयोग निष्पक्ष होता तो कांग्रेस की सरकार बनती?
सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
- राजेश राम का आरोप है कि बीजेपी ने पैसे का इस्तेमाल किया।
- कांग्रेस ने गठबंधन के साथ तालमेल बनाने की कोशिश की।
- चुनाव मैनेजमेंट में गड़बड़ी ने कांग्रेस की राह मुश्किल बनाई।
- अगर चुनाव आयोग निष्पक्ष होता, तो परिणाम भिन्न हो सकते थे।
नई दिल्ली, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम ने पार्टी की हार का जिम्मेदार चुनाव आयोग और बीजेपी को ठहराया है। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग समय पर एनडीए द्वारा लोगों के खातों में पैसे डालकर वोट खरीदने की कोशिशों को रोकता, तो कांग्रेस बड़े अंतर से जीत सकती थी।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में राजेश राम ने कहा कि इस बार ऐसा प्रतीत हुआ कि एनडीए ने पूरी तरह से मैनेजमेंट पर नियंत्रण रख लिया था और जनता के बीच पैसे का उपयोग कर रहा था, जबकि कांग्रेस ने केवल सामान्य कैंपेनिंग की।
उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग ने कोड ऑफ कंडक्ट लागू होने के बावजूद कुछ पार्टियों को सीधे मदद पहुंचाई। चुनाव के दौरान लोगों के खातों में पैसे की एंट्री, स्कीम वर्कर और स्थानीय एजेंटों के माध्यम से संदेश पहुंचाना और चुनाव मैनेजमेंट, इन सब कारणों से कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ गईं।
उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस ने अपने गठबंधन के साथ तालमेल बनाने की कोशिश की, लेकिन चुनाव आयोग की मैपिंग के कारण विभिन्न फेज और क्षेत्रों में समन्वय करना कठिन था। उदाहरण के लिए, एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में ढाई घंटे लग जाते थे, जिससे कैंपेनिंग प्रभावित हुई।
राजेश राम ने कहा कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन का वोट प्रतिशत स्थिर रहा। जनता का समर्थन वैसा ही था। जहां हमारी वोट प्रतिशत थी, हम वहीं खड़े रहे। पराजय का मुख्य कारण चुनाव आयोग की निष्पक्षता में कमी और एनडीए के पैसे के उपयोग को रोकने में असफलता थी। उनका कहना है कि अगर चुनाव आयोग बिना पक्षपात के काम करता, तो कांग्रेस चुनाव आसानी से जीत सकती थी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस ने पूरी मेहनत और रणनीति के साथ चुनाव लड़ा, लेकिन कुछ बाहरी परिस्थितियों ने जीत की राह को कठिन बना दिया।