क्या यूएन में महिलाओं के मुद्दे पर पाकिस्तान ने कश्मीर राग अलापा?

सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं के मुद्दे पर भारत का दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।
- पाकिस्तान का मुखौटा उतारना आवश्यक है।
- महिला सुरक्षा और शांति स्थापना एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच इन दिनों संबंधों में वृद्धि देखी जा रही है। साथ ही, बांग्लादेश में आईएसआई मॉड्यूल भी सक्रिय होता दिखाई दे रहा है। इसी बीच यूएन में महिलाओं, शांति और सुरक्षा पर चर्चा हो रही थी। इस अवसर पर भारत ने बांग्लादेश सहित विश्व के अन्य देशों के समक्ष पाकिस्तान का मुखौटा उतारकर रख दिया।
भारत ने सभी को याद दिलाया कि बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पाकिस्तान ने वहां महिलाओं के नरसंहार और सामूहिक बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया। वास्तव में, पाकिस्तान ने यूएन के सामने एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर का राग अलापना शुरू कर दिया और महिलाओं के अधिकारों पर भ्रामक बयानों का सहारा लिया।
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कश्मीर के मुद्दे को उठाने की पाकिस्तान की कोशिश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह वही देश है जिसने 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट चलाया था और अपनी ही सेना द्वारा 400,000 महिला नागरिकों के नरसंहार और सामूहिक बलात्कार के एक व्यवस्थित अभियान को मंजूरी दी थी। दुनिया पाकिस्तान के dushprachar को समझती है।"
पी हरीश ने आगे कहा, "जो देश अपने ही लोगों पर बमबारी करता है, नरसंहार करता है, वह केवल गुमराह करने और अतिशयोक्ति से दुनिया का ध्यान भटकाने की कोशिश कर सकता है।"
गौरतलब है कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में लगभग हर चर्चा में कश्मीर का राग अलापता रहता है और हर बार भारत से उसे मुंह की खानी पड़ती है।
महिलाओं के मुद्दे पर भारत के प्रतिनिधि पी. हरीश ने कहा, "अब सवाल यह नहीं है कि महिलाएं शांति स्थापना कर सकती हैं या नहीं; बल्कि यह है कि क्या महिलाओं के बिना शांति स्थापना संभव है।"
पाकिस्तान की स्थायी मिशन काउंसलर साइमा सलीम ने कहा कि कश्मीरी महिलाओं को शांति और सुरक्षा एजेंडे से बाहर रखना इसकी वैधता को खत्म करता है। जम्मू-कश्मीर विवाद इस परिषद के एजेंडे में शामिल है, इसलिए भविष्य की रिपोर्टों में उनकी स्थिति को दर्शाया जाना चाहिए।