क्या उत्तर प्रदेश के 11 विरासत भवनों और किलों को भव्य पर्यटन स्थलों में बदलेगी सरकार?

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क्या उत्तर प्रदेश के 11 विरासत भवनों और किलों को भव्य पर्यटन स्थलों में बदलेगी सरकार?

सारांश

उत्तर प्रदेश की सरकार ने ऐतिहासिक धरोहरों को पुनर्जीवित करने के लिए एक नई पहल शुरू की है। 11 पुराने किलों और भवनों का पुनरोद्धार किया जाएगा, जिससे न केवल इनकी खूबसूरती बढ़ेगी, बल्कि पर्यटन में भी वृद्धि होगी। जानें कैसे ये कदम स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देगा।

Key Takeaways

  • 11 विरासत भवनों का पुनरोद्धार किया जाएगा।
  • परियोजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप पर आधारित है।
  • स्थानीय पर्यटन में बढ़ोतरी होगी।
  • यह पहल स्थानीय रोजगार बढ़ाने में मददगार होगी।
  • उत्तर प्रदेश को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर लाने का प्रयास।

लखनऊ, १३ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में खंडहर में तब्दील हो रहे राज्य के ऐतिहासिक धरोहरों को नया जीवन देने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। पर्यटन विभाग प्रदेश के ११ पुराने किलों और भवनों को चमकाने की तैयारी में है। विभाग ने एजेंसियों के माध्यम से इसके लिए अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) आमंत्रित किया है। ये काम पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत होगा, जहां एजेंसी इन जगहों को डिजाइन करेगी, बनाएगी, पैसे लगाएगी, चलाएगी और बाद में सरकार को सौंप देगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शुरू होने जा रही इस पहल से न सिर्फ इन ऐतिहासिक किलों और भवनों का इतिहास बचेगा, बल्कि स्थानीय पर्यटन बढ़ेगा और हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इन ११ विरासत स्थलों में ललितपुर का तालबेहट किला, बांदा का रनगढ़ और भुरागढ़ किला, गोंडा की वजीरगंज बारादरी, लखनऊ का आलमबाग भवन, गुलिस्तान-ए-एरम और दर्शन विलास, कानपुर की टिकैत राय बारादरी, महोबा का मस्तानी महल और सेनापति महल, झांसी का तहरौली किला और मथुरा का सीताराम महल (कोटवान किला) शामिल हैं।

ये सभी जगहें अपनी खास वास्तुकला और इतिहास की कहानियों के लिए मशहूर हैं। इनका पुनरोद्धार करके इन्हें होटल, सांस्कृतिक केंद्र या संग्रहालय में बदला जाएगा, ताकि पर्यटक यहां ठहर सकें और इतिहास को करीब से महसूस कर सकें। बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में ये योजना खास तौर पर फायदेमंद होगी, जहां पर्यटन बढ़ने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। पर्यटन विभाग के मुताबिक, ये परियोजना न सिर्फ इन पुरानी इमारतों को नया रूप देगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए रास्ते भी खोलेगी।

मुख्यमंत्री ने पहले ही इको-टूरिज्म और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। उनकी ये कोशिशें यूपी को देश और दुनिया में पर्यटन का एक चहेता डेस्टिनेशन बना रही हैं। अयोध्या, काशी, और मथुरा जैसे प्रमुख धार्मिक केंद्रों के साथ-साथ राज्य के अन्य प्राचीन मंदिरों और तीर्थ स्थलों को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं। 2024 में ६५ करोड़ पर्यटकों ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थलों का दौरा किया, जो इन पहलों की सफलता को दर्शाता है।

Point of View

बल्कि यह स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा देगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद मिलेगी। यह कदम सही दिशा में उठाया गया है, जिससे प्रदेश को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर लाने की दिशा में एक नई शुरुआत हो रही है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

उत्तर प्रदेश के कितने विरासत भवनों का पुनरोद्धार किया जा रहा है?
उत्तर प्रदेश में 11 विरासत भवनों और किलों का पुनरोद्धार करने की योजना है।
क्या ये परियोजना पीपीपी मॉडल पर आधारित है?
हाँ, यह परियोजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत संचालित होगी।
इस पहल से स्थानीय लोगों को क्या लाभ होगा?
इस पहल से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और स्थानीय पर्यटन में वृद्धि होगी।
क्या ये योजना ऐतिहासिक किलों और भवनों के संरक्षण में मदद करेगी?
जी हाँ, यह योजना ऐतिहासिक किलों और भवनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
कब तक इस परियोजना को पूरा किया जाएगा?
इस परियोजना की समय सीमा और अन्य विवरणों का अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।