क्या वीर बाल दिवस उत्तर प्रदेश में राष्ट्र चेतना की प्रयोगशाला के रूप में उभरा?

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क्या वीर बाल दिवस उत्तर प्रदेश में राष्ट्र चेतना की प्रयोगशाला के रूप में उभरा?

सारांश

उत्तर प्रदेश में 'वीर बाल दिवस' का आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसने विद्यालयों को साहस और राष्ट्रभक्ति के मूल्यों से जोड़ते हुए शिक्षा का एक नया आयाम प्रस्तुत किया। यह आयोजन बालकों में प्रेरणा और आत्मविश्वास का संचार करता है।

Key Takeaways

  • 1.48 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों ने लिया भाग।
  • 'वीर बाल दिवस' ने विद्यालयों को संस्कारों की प्रयोगशाला बनाया।
  • साहस और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा दी गई।
  • डिजिटल माध्यम से आयोजन का प्रसारण।
  • बच्चों में आत्मविश्वास और नैतिक मूल्यों का विकास।

लखनऊ, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में ‘वीर बाल दिवस’ का आयोजन शुक्रवार को सफलता के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन बेसिक शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के निर्देशों के अंतर्गत आयोजित किया गया। राज्य के सभी 75 जिलों में स्थित लगभग 1.32 लाख परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कम्पोजिट एवं कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में यह आयोजन एक साथ किया गया, जिसमें 1.48 करोड़ से अधिक बालक-बालिका विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

यह कार्यक्रम मात्र एक औपचारिकता नहीं था, बल्कि बालमन में साहस, शौर्य, कर्तव्यबोध एवं राष्ट्रभक्ति की चेतना रोपित करने का एक प्रभावी माध्यम बना। विद्यालयों में देश के वीर बालकों की प्रेरणादायक गाथाओं के माध्यम से विद्यार्थियों को यह संदेश दिया गया कि इतिहास उम्र से नहीं, बल्कि संकल्प और शौर्य से रचा जाता है।

इस मौके पर विद्यालयों में प्रार्थना सभा, वीर बालकों से जुड़ी प्रेरक कथाओं का वाचन, संवाद सत्र तथा रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिससे विद्यार्थियों को राष्ट्रनिर्माण के मूल्यों से जोड़ा गया। नई दिल्ली में आयोजित मुख्य कार्यक्रम का डिजिटल प्रसारण भी विद्यालयों में किया गया, जिससे आयोजन की राष्ट्रीय भावना और मजबूत हुई।

शिक्षाविदों का मानना है कि ‘वीर बाल दिवस’ ने विद्यालयों को केवल शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि संस्कार, साहस और राष्ट्रचेतना की प्रयोगशाला के रूप में सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि वीर बाल दिवस बच्चों में साहस, आत्मविश्वास और राष्ट्रप्रेम के संस्कारों को मजबूत करता है। आज प्रदेश के हर विद्यालय तक यह संदेश पहुंचा है कि उम्र नहीं, बल्कि संकल्प और शौर्य ही इतिहास रचते हैं।

इस अवसर पर विद्यालयों में चित्रकला, कविता पाठ, निबंध लेखन, पोस्टर निर्माण, वाद-विवाद एवं संवाद सत्र जैसी गतिविधियों का आयोजन किया गया। शिक्षकों ने विद्यार्थियों को वीर बालकों के जीवन, साहसिक निर्णयों और सामाजिक योगदान से परिचित कराया, जिससे बच्चों में प्रेरणा, आत्मविश्वास और नैतिक मूल्यों का विकास हुआ। कार्यक्रम के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु सोशल मीडिया एवं अन्य संचार माध्यमों का प्रभावी उपयोग किया गया।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा आयोजन की सतत निगरानी की गई। जनपदों से फोटोग्राफ, वीडियो एवं संक्षिप्त विवरण विभागीय स्तर पर भी संकलित किए गए। महानिदेशक मोनिका रानी ने कहा कि वीर बाल दिवस के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रेरक गाथाओं से जोड़ते हुए विद्यालयों में मूल्य-आधारित, नेतृत्वपरक और आत्मविश्वासपूर्ण शिक्षा को और अधिक मजबूत किया गया है।

-- राष्ट्र प्रेस

विकेटी/एएसएच

Point of View

बल्कि यह बच्चों में साहस और राष्ट्रभक्ति की भावना को भी जागृत करता है। हमारे विद्यालय अब केवल शिक्षा का केंद्र नहीं रह गए हैं, बल्कि वे संस्कार और नेतृत्व की प्रयोगशाला बन गए हैं।
NationPress
26/12/2025

Frequently Asked Questions

वीर बाल दिवस का उद्देश्य क्या है?
वीर बाल दिवस का उद्देश्य बच्चों में साहस, आत्मविश्वास और राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करना है।
इस आयोजन में कितने विद्यार्थियों ने भाग लिया?
इस आयोजन में 1.48 करोड़ से अधिक बालक-बालिका विद्यार्थियों ने सक्रिय सहभागिता की।
यह कार्यक्रम कब और कहाँ आयोजित किया गया?
यह कार्यक्रम 26 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में आयोजित किया गया।
इस दिन के महत्व क्या हैं?
यह दिन बच्चों को प्रेरित करता है कि वे अपने संकल्प और शौर्य से इतिहास रच सकते हैं।
क्या इसमें डिजिटल प्रसारण हुआ?
हाँ, नई दिल्ली में आयोजित मुख्य कार्यक्रम का डिजिटल प्रसारण विद्यालयों में किया गया।
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