क्या साहिबजादे जोरावर और फतेह सिंह पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेंगे? - सीएम मोहन यादव
सारांश
Key Takeaways
- वीर बाल दिवस पर साहिबजादे की शहादत को याद किया गया।
- सीएम मोहन यादव ने पाठ्यक्रम में साहिबजादों की गाथा को शामिल करने का ऐलान किया।
- यह कदम भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।
- साहिबजादों की शहादत से देशभक्ति और धर्मनिष्ठता का संदेश मिलता है।
- साहिबजादों के बलिदान की गाथा को याद करना ज़रूरी है।
भोपाल, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वीर बाल दिवस के अवसर पर साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह का मध्य प्रदेश में स्मरण किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि साहिबजादे से संबंधित घटनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित समारोह में साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि मुगलों के खिलाफ संघर्ष करते हुए अपने धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोविंद सिंह महाराज के परिवार और दोनों साहिबजादों ने जो महान शहादत दी, उसे दुनिया हमेशा याद रखेगी।
जब हम दोनों साहिबजादों के साथ मुगलों द्वारा की गई अमानवीय क्रूरता को याद करते हैं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी ने देश और धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष, त्याग और बलिदान का मार्ग दिखाया।
उन्होंने आगे कहा कि हम सर्वधर्म सम समभाव की बात करते हैं और इसे करना भी चाहिए, लेकिन हमें यह भी देखना चाहिए कि जो व्यक्ति अपना धर्म छोड़ने से इनकार करता है, उसके साथ क्या होता है? उस पर क्या बीता है? आतताइयों को यह छूट किसने दी? और यदि अपने धर्म की रक्षा के लिए शहादत दी गई है, तो क्यों उसे याद नहीं किया जाना चाहिए?
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज वीर बाल दिवस के अवसर पर साहिबजादों को नमन और उनसे संबंधित घटनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा, ताकि भविष्य की पीढ़ियां संघर्ष और बलिदान की गाथा को याद रखें।
इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि वीर बाल दिवस आने वाली पीढ़ियों को बलिदान और धर्मनिष्ठता का संदेश देता है। साहिबजादों की शहादत से देशभक्ति और संस्कारों की शिक्षा मिलती है।
वीर बाल दिवस का उद्देश्य है कि हम आने वाली पीढ़ी को बताएं कि बलिदान और धर्म के प्रति निष्ठा क्या होती है।