क्या उत्तर प्रदेश ने नस्ल सुधार एवं दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति की है?

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क्या उत्तर प्रदेश ने नस्ल सुधार एवं दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति की है?

सारांश

उत्तर प्रदेश ने नस्ल सुधार एवं दुग्ध उत्पादन में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह के अनुसार, यह राज्य अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। जानें कैसे सरकार के प्रयासों से किसान और महिलाओं को लाभ मिल रहा है।

Key Takeaways

  • उत्तर प्रदेश ने नस्ल सुधार और दुग्ध उत्पादन में क्रांति की है।
  • किसान-केंद्रित विकास मॉडल को प्राथमिकता दी जा रही है।
  • आईवीएफ और सेक सॉर्टेड सीमन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
  • दुग्ध उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।
  • वाराणसी दुग्ध संघ ने उत्पादन में मील का पत्थर साबित किया है।

लखनऊ, १२ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मत्स्य पालन विभाग, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने नस्ल सुधार एवं दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति की है। इस राज्य ने अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा का कार्य किया है।

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने शनिवार को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में भारत में पशु नस्लों के विकास पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि यूपी ने नस्ल सुधार और दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। भारत दूध उत्पादन में विश्व में पहले स्थान पर है, और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता का परिणाम है। उन्होंने पशुपालन विभाग को अलग मंत्रालय का दर्जा दिया है, और साथ ही कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं भी शुरू कराई हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार किसान-केंद्रित व्यवस्था को प्राथमिकता दे रही है और नस्ल सुधार के लिए व्यापक कदम उठाए जा रहे हैं। प्रदेश में पशु आरोग्य, नस्ल सुधार और दुग्ध उत्पादन की दिशा में कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। छोटे किसान, भूमिहीन तथा मजदूर वर्ग के लोग पशुपालन के क्षेत्र में सक्रिय हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएं हैं। दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों में भी बत्तीस फीसदी महिलाएं काम कर रही हैं।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि नस्ल सुधार में आईवीएफ और सेक सॉर्टेड सीमन का प्रयोग किया जा रहा है। आईवीएफ तकनीक महंगी है, जबकि सेक सॉर्टेड सीमेन विधि सस्ती और किसानों के लिए लाभकारी है। इससे नब्बे फीसदी बछिया पैदा होती हैं।

उन्होंने कहा कि जबकि हम विश्व में दुग्ध उत्पादन में पहले हैं, उत्पादकता में हमें सुधार की आवश्यकता है। हम देश के नौ राज्यों को एफएमडी फ्री स्टेट बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है, ताकि दुग्ध उत्पादों का निर्यात किया जा सके।

मंत्री रंजन ने कहा कि वाराणसी दुग्ध संघ प्रदेश के दुग्ध उत्पादन में मील का पत्थर साबित हुआ है। जहां पहले चौदह हजार लीटर दूध उत्पादन होता था, अब वहां दो लाख लीटर से अधिक का उत्पादन हो रहा है। जो सोसायटी पहले सौ-दो सौ लीटर दूध देती थीं, वे अब पांच हजार से भी ज्यादा लीटर दूध दुग्ध संघ को दे रही हैं। किसानों को अब गोबर के लिए भी लाभ मिल रहा है। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ने यहां पर कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। असंगठित क्षेत्र अब संगठित हो चुका है, जिससे किसानों को लाभ मिल रहा है।

मुख्यमंत्री योगी के प्रयासों से कानपुर, कन्नौज और गोरखपुर के दुग्ध प्लांट भी एनडीडीबी द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। इससे इन जिलों के किसानों को भी महत्वपूर्ण लाभ मिलने वाला है। अब पशुपालक किसान देश की अर्थव्यवस्था में सीधा योगदान दे रहे हैं।

Point of View

बल्कि किसानों की स्थिति को भी सुधारने में सहायक है। इस दिशा में उठाए गए कदम देश के अन्य हिस्सों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं।
NationPress
03/09/2025

Frequently Asked Questions

उत्तर प्रदेश में नस्ल सुधार के लिए कौन-कौन सी तकनीकें इस्तेमाल की जा रही हैं?
उत्तर प्रदेश में नस्ल सुधार के लिए आईवीएफ और सेक सॉर्टेड सीमन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
दुग्ध उत्पादन में उत्तर प्रदेश का स्थान क्या है?
उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में भारत का सबसे बड़ा राज्य है और यह विश्व में पहले स्थान पर है।
किसान और विशेषकर महिलाएं दुग्ध उत्पादन में कैसे शामिल हैं?
दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों में बत्तीस फीसदी महिलाएं कार्य कर रही हैं, जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।