उत्तराखंड: क्या हरीश रावत ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर राहत कार्यों में तेजी लाने की अपील की?

सारांश
Key Takeaways
- प्राकृतिक आपदा ने उत्तराखंड के कई क्षेत्रों को प्रभावित किया है।
- पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राहत कार्यों में तेजी लाने की अपील की।
- स्थानीय समुदाय ने मिलकर प्रभावितों की सहायता की है।
- सरकार को प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
- एकता और सहयोग इस संकट में महत्वपूर्ण हैं।
बागेश्वर, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा ने कई क्षेत्रों में गंभीर तबाही मचाई है। इस परिदृश्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गढ़वाल के बाद अब कुमाऊं क्षेत्र का दौरा किया है। बुधवार को उन्होंने बागेश्वर जिले की कपकोट तहसील के कनलगढ़ घाटी स्थित पैसानी गांव का दौरा किया, जहां आपदा ने काफी नुकसान पहुंचाया है। इस दौरान उन्होंने प्रभावित लोगों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं।
पैसानी गांव में आपदा की स्थिति का निरीक्षण करने के बाद हरीश रावत ने कहा, "बाढ़ ने हमारे लोगों को गहरी कठिनाइयों में डाल दिया है। मैं प्रभावितों की चिंताओं में शामिल होने आया हूं। मुझे गर्व है कि कांग्रेस के कार्यकर्ता हर उस स्थान पर सक्रिय हैं, जहां आपदा ने लोगों को प्रभावित किया है। वे न केवल दर्द साझा कर रहे हैं, बल्कि पीड़ितों की मदद के लिए भी तत्पर हैं।"
उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में एकता और सहायता की आवश्यकता है। हरीश रावत ने प्रदेश की धामी सरकार से प्रभावितों की सहायता के लिए त्वरित कदम उठाने की अपील की।
उन्होंने आगे कहा, "सरकार को अपनी मुट्ठी खोलनी होगी और आपदा की इस समस्या से प्रभावी रूप से निपटना होगा। अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपकर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों को तेज करना चाहिए।"
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह फिलहाल सरकार की कार्यशैली पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन एक महीने बाद प्रेस वार्ता में अपनी बात रखेंगे।
स्थानीय लोगों ने भी आपदा प्रभावितों की मदद में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। हरीश रावत ने स्थानीय समुदाय की इस पहल की सराहना की और कहा कि आपदा के समय एकजुटता सबसे बड़ी ताकत है।
उन्होंने प्रभावित परिवारों से मिलकर उनकी समस्याएं समझीं और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में इस वर्ष भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ ने कई क्षेत्रों में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चमोली जैसे जिलों में आपदा का प्रभाव गंभीर रहा है।