क्या उत्तराखंड के नैनीताल में मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का भव्य समापन हुआ?

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क्या उत्तराखंड के नैनीताल में मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का भव्य समापन हुआ?

सारांश

उत्तराखंड के नैनीताल में मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का भव्य समापन हुआ, जहां भक्तों ने आस्था और भक्ति के साथ भाग लिया। यह महोत्सव न केवल धार्मिक था, बल्कि सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से भी समृद्ध रहा। जानिए कैसे इस महोत्सव ने श्रद्धालुओं का दिल जीत लिया।

Key Takeaways

  • मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का भव्य समापन हुआ।
  • भक्तों ने डोला यात्रा में भाग लिया।
  • सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने सभी को आकर्षित किया।
  • प्रशासन ने सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए।
  • यह महोत्सव आस्था और भक्ति का प्रतीक है।

नैनीताल, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सरोवर नगरी नैनीताल में मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन शुक्रवार को आस्था, भक्ति और उल्लास के साथ हुआ। मां नैना देवी मंदिर से प्रारंभ हुई पारंपरिक डोला यात्रा ने पूरे शहर को मां के जयकारों से गुंजायमान कर दिया।

मंदिर परिसर से प्रारंभ हुई यह यात्रा मल्लीताल, लोअर माल रोड, तल्लीताल बाजार और चीना बाबा मंदिर होते हुए पुनः नैना देवी मंदिर पहुंची। भक्त नाच-गाकर और जयकारों के साथ मां को विदाई देने में शामिल हुए, जिसने माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया।

महोत्सव के अंतिम दिन सुबह से ही मां के दर्शन और विदाई के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। नैनीताल के साथ-साथ हल्द्वानी, रामनगर, काशीपुर और रुद्रपुर से हजारों श्रद्धालु पहुंचे। कुमाऊं के विभिन्न शहरों से आए बैंड-बाजों और छोलिया नृत्य दलों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से समां बांध दिया।

इस वर्ष महोत्सव का विशेष आकर्षण रहा पिथौरागढ़ से आई सांस्कृतिक टीम का लखिया भूत नृत्य। पारंपरिक वेशभूषा और लोकधुनों से सजी इस प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

जिला पर्यटन विकास विभाग द्वारा आयोजित इस नाट्य प्रस्तुति का नेतृत्व कर रहे कैलाश जोशी ने बताया कि लखिया भूत को मां नंदा का रक्षक माना जाता है, जिसे डोले के आगे भ्रमण कराया जाता है।

उन्होंने कहा कि इस परंपरा की शुरुआत पिथौरागढ़ में नेपाल के राजा द्वारा दी गई लखिया भूत की मूर्ति से हुई, जिसे बांधकर रखा जाता है ताकि वह वापस न जाए।

स्थानीय लोगों में महोत्सव को लेकर अपार उत्साह देखा गया। स्थानीय सभासद जितेंद्र पांडे ने बताया कि न केवल नैनीताल, बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी लोग मां नंदा-सुनंदा के दर्शन के लिए उमड़े।

स्थानीय निवासी आभा साह ने कहा, "मां नंदा-सुनंदा का त्योहार साल में एक बार आता है, जिसका बेसब्री से इंतजार रहता है।"

वहीं दीपा रौतेला ने बताया कि सुबह बारिश के बावजूद मौसम सुहावना रहा, जिससे लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। उन्होंने मां की विदाई के दुख के साथ अगले वर्ष के इंतजार की बात कही।

श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए। एसपी क्राइम डॉ. जगदीश चंद्रा ने बताया कि दोपहर 12 बजे शुरू हुई शोभा यात्रा के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई। करीब डेढ़ सौ पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया, जो भीड़ नियंत्रण और चोरों पर नजर रखने में मुस्तैद रहे। फायर और पुलिस वाहन यात्रा के साथ चले, जबकि नैनी झील में एसडीआरएफ की टीम तैनात रही। ड्रोन के माध्यम से भी निगरानी रखी गई।

Point of View

बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी प्रतिनिधित्व करता है। नैनीताल का यह त्योहार स्थानीय लोगों की एकता और धार्मिक भावनाओं को दर्शाता है, जो हर वर्ष श्रद्धालुओं को एकत्र करता है।
NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

मां नंदा-सुनंदा महोत्सव कब मनाया जाता है?
मां नंदा-सुनंदा महोत्सव हर साल सितंबर महीने में मनाया जाता है।
इस महोत्सव में कौन-कौन सी सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती हैं?
इस महोत्सव में पारंपरिक नृत्य, भजन, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ होती हैं।
भक्तों की संख्या कितनी होती है?
इस महोत्सव में हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं, जो दूर-दूर से आते हैं।
प्रशासन ने सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए?
प्रशासन ने सुरक्षा के लिए पुलिस बल और एसडीआरएफ की टीम तैनात की थी।
क्या इस महोत्सव का कोई विशेष आकर्षण है?
इस साल का विशेष आकर्षण पिथौरागढ़ से आई सांस्कृतिक टीम का लखिया भूत नृत्य था।