क्या उत्तरकाशी आपदा के बाद लिमचीगाड पुल का निर्माण अंतिम चरण में है?

सारांश
Key Takeaways
- लिमचीगाड पुल का निर्माण अंतिम चरण में है।
- यह पुल आपदा प्रभावित लोगों के लिए राहत का साधन बनेगा।
- रेस्क्यू ऑपरेशन में कई टीमें काम कर रही हैं।
- सरकार ने मृतकों के लिए मुआवजे की घोषणा की है।
- बिजली और नेटवर्क की सुविधा बहाल की जा रही है।
उत्तरकाशी, 10 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के आपदा से प्रभावित उत्तरकाशी जिले में लिमचीगाड पुल लगभग तैयार है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इसे कुछ ही घंटों में आवागमन के लिए खोला जाएगा। उन्होंने बताया कि यह पुल आपदा से प्रभावित लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि धराली (उत्तरकाशी) में आई आपदा के दौरान यह पुल बह गया था, जिससे आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया था। इसके बाद बेली ब्रिज के निर्माण के लिए युद्ध स्तर पर काम किया गया। उन्होंने बताया कि पुलिस दलों, एसडीआरएफ, इंजीनियरों और अन्य बचाव दलों की मेहनत के परिणामस्वरूप यह निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में है।
इस बीच, मुख्यमंत्री ने रविवार को उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लिए पुनर्वास एवं राहत सामग्री ले जाने वाले वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
गंगोत्री से भाजपा विधायक सुरेश चौहान ने मुख्यमंत्री की तारीफ की और कहा कि उन्होंने धराली में आपदा के बाद खुद कमान संभाली। उन्होंने दो दिन तक स्थिति की समीक्षा और निगरानी की। मौसम खराब था, लेकिन मुख्यमंत्री धामी ने जोखिम उठाकर यहां तक पहुंचे।
विधायक सुरेश चौहान अभी भी ग्राउंड जीरो पर हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं। उत्तरकाशी के मातली हेलीपैड से लगातार हेलीकॉप्टर सेवाएं आपदाग्रस्त धराली क्षेत्र के लिए उड़ान भर रही हैं।
विधायक ने रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी देते हुए बताया कि घटना के आधे घंटे बाद ही भारतीय सेना और आईटीबीपी की टीमें यहां पहुंच गई थीं। रेस्क्यू के दौरान 130 लोगों को गंगोत्री की तरफ ले जाया गया, जबकि 20 अन्य को कुछ समय बाद बचा लिया गया। उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ-एनडीआरएफ और पुलिस टीमों की प्रशंसा की।
सुरेश चौहान ने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन में कई चुनौतियां आईं। 100 किलोमीटर के क्षेत्र में सड़कें जगह-जगह से टूटी हुई हैं।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अलग-अलग प्रकार के कार्य दिए हैं। प्रभावित क्षेत्र में बिजली की व्यवस्था हो चुकी है और नेटवर्क के लिए टावर भी स्थापित कर दिए गए हैं। घरों में राशन पहुंचाया जा रहा है। मृतकों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की गई है।