क्या वक्रासन पाचन को दुरुस्त कर रीढ़ को मजबूती देता है?
सारांश
Key Takeaways
- वक्रासन पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
- यह रीढ़ की हड्डी में लचीलापन लाता है।
- सही तरीके से अभ्यास करना जरूरी है।
- तनाव और चिंता कम करने में मददगार है।
- विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
नई दिल्ली, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज की व्यस्त और भागदौड़ भरी जीवनशैली कई मानसिक और शारीरिक समस्याओं को जन्म देती है। इन समस्याओं का समाधान योगासन में छिपा है, जिसे दैनिक दिनचर्या में शामिल करके स्वास्थ्य बनाए रखा जा सकता है। ऐसा ही एक सरल आसन है वक्रासन।
मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा के अनुसार, वक्रासन का अभ्यास कमर और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। यह मांसपेशियों को मजबूत करने के साथ ही पाचन तंत्र को भी दुरुस्त करता है।
योगा इंस्टीट्यूट के अनुसार, वक्रासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर सीधे पैर रखकर बैठें। दाहिना पैर घुटने से मोड़कर बाएं जांघ के बाहर रखें। बायां हाथ दाहिने घुटने के ऊपर से ले जाकर दाहिने पैर के पंजे को पकड़ें और दाहिनी ओर मुड़कर देखें। इसी प्रक्रिया को दूसरी तरफ भी दोहराएं। इस दौरान सांस सामान्य रखें और 25 से 30 सेकंड तक उसी स्थिति में रहें।
वक्रासन के अभ्यास के कई फायदे हैं। इससे रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ता है, कमर और कंधों का दर्द कम होता है। पाचन तंत्र मजबूत होता है, कब्ज की समस्या में कमी आती है। गैस और एसिडिटी की समस्या भी दूर होती है। यह लिवर और किडनी को सक्रिय कर डिटॉक्स में मदद करता है। साथ ही, यह मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार लाता है, तनाव और चिंता को कम करता है।
हालांकि, वक्रासन बहुत फायदेमंद है, लेकिन गलत तरीके से या गलत स्थिति में करने से नुकसान भी हो सकता है। इसलिए इसे हमेशा प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में करना चाहिए। कुछ लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे कि गंभीर पीठ दर्द, स्लिप डिस्क, या मेरुदण्ड में विकार होने पर।
महिलाओं को पीरियड्स के दौरान या पेट की सर्जरी के बाद सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा, उच्च रक्तचाप और सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के मरीजों को भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।