क्या विदेश मंत्री जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति से मुलाकात कर भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने का प्रयास किया?

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क्या विदेश मंत्री जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति से मुलाकात कर भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने का प्रयास किया?

सारांश

क्या विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मुलाकात चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ भारत-चीन संबंधों को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है? जानें इस मुलाकात के प्रमुख बिंदुओं और द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य के बारे में।

Key Takeaways

  • भारत और चीन के बीच संबंधों को सामान्य करने पर जोर।
  • खुला संवाद और विचारों का आदान-प्रदान महत्वपूर्ण।
  • कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनः आरंभ एक सकारात्मक कदम है।
  • वैश्विक स्थिति को देखते हुए भारत और चीन के बीच संबंधों का महत्व।
  • उच्च स्तरीय राजनयिक संपर्क का महत्व।

बीजिंग, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को बीजिंग में चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। इस अवसर पर उन्होंने भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने पर जोर देते हुए कहा कि इससे दोनों देशों को "पारस्परिक रूप से लाभकारी" परिणाम मिल सकते हैं। उन्होंने पड़ोसी देशों और प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच खुली बातचीत और विचारों के आदान-प्रदान को महत्वपूर्ण बताया।

विदेश मंत्री ने उसी दिन बीजिंग में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के महासचिव नूरलान येरमेकबायेव से भी मुलाकात की।

उन्होंने एक्स पर लिखा, "आज बीजिंग में एससीओ महासचिव नूरलान येरमेकबायेव से मिलकर खुशी हुई। एससीओ के योगदान और महत्व के साथ-साथ इसके कामकाज को आधुनिक बनाने के प्रयासों पर चर्चा हुई।"

जयशंकर तीन दिन के दौरे पर चीन पहुंचे हैं, जहां वे तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे। बीजिंग पहुंचते ही उनकी चीनी उपराष्ट्रपति से मुलाकात हुई।

बैठक की शुरुआत में जयशंकर ने कहा, "पिछले साल अक्टूबर में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंध लगातार बेहतर हो रहे हैं। मुझे विश्वास है कि इस यात्रा के दौरान मेरी चर्चाएं इस सकारात्मक दिशा को बनाए रखेंगी।"

इस साल भारत-चीन के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर जयशंकर ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने को एक महत्वपूर्ण कदम बताया। यह यात्रा कोविड-19 महामारी और सीमा तनाव के कारण पांच साल तक बंद थी।

उन्होंने कहा, "कैलाश मानसरोवर यात्रा का दोबारा शुरू होना भारत में बहुत सराहा जा रहा है। हमारे संबंधों का निरंतर सामान्यीकरण दोनों देशों के लिए लाभकारी हो सकता है।"

वैश्विक स्थिति पर टिप्पणी करते हुए जयशंकर ने कहा, "आज की वैश्विक स्थिति बहुत जटिल है। पड़ोसी देशों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और चीन के बीच खुला संवाद बहुत जरूरी है।"

मुलाकात के बाद जयशंकर ने एक्स पर लिखा, "बीजिंग पहुंचने के तुरंत बाद उपराष्ट्रपति हान झेंग से मिलकर खुशी हुई। मैंने चीन की एससीओ अध्यक्षता के लिए भारत के समर्थन की बात कही। हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार को रेखांकित किया और विश्वास जताया कि इस यात्रा की चर्चाएं सकारात्मक दिशा को बनाए रखेंगी।"

यह जयशंकर की जून 2020 में गलवान घाटी में हुए टकराव के बाद पहली चीन यात्रा है, जिसने दोनों देशों के संबंधों को काफी प्रभावित किया था। हालांकि, इस दौरान वे अपने चीनी समकक्ष से बहुपक्षीय मंचों पर मिलते रहे हैं, लेकिन यह यात्रा सीमा विवाद के बीच उच्च स्तरीय राजनयिक संपर्क का महत्वपूर्ण कदम है।

Point of View

बल्कि वैश्विक स्तर पर भी है। जयशंकर का प्रयास द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने और खुली बातचीत को बढ़ावा देने का है। एक सकारात्मक दिशा में यह कदम दोनों देशों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, विशेषकर वैश्विक चुनौतियों के संदर्भ में।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

भारत-चीन संबंधों में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हालिया मुलाकात चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनः आरंभ क्यों महत्वपूर्ण है?
यह यात्रा भारत और चीन के बीच संबंधों के सामान्यीकरण का प्रतीक है, जो पिछले पांच वर्षों से बंद थी।
क्या इस मुलाकात का कोई वैश्विक प्रभाव होगा?
हां, भारत और चीन के बीच खुला संवाद वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।