क्या विजय गोयल की मांग से देशभर में बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए 'नो डॉग्स ऑन स्ट्रीट' नीति बनेगी?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के हमलों पर चिंता जताई है।
- विजय गोयल ने 'नो डॉग्स ऑन स्ट्रीट' नीति की मांग की है।
- राज्य सरकारों को कंप्लायंस रिपोर्ट दाखिल करने की आवश्यकता है।
- दिल्ली में रोजाना 2,000 से अधिक कुत्तों के काटने के मामले होते हैं।
- आवारा कुत्तों की समस्या पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनस)। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता विजय गोयल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने बताया कि आवारा कुत्तों के काटने के कारण आज पूरी दुनिया में हमारे देश की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।
विजय गोयल ने कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के प्रति गंभीर नाराजगी दिखाई है, क्योंकि राज्य सरकारों द्वारा कुत्तों के काटने की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि केवल तीन राज्यों की ही कंप्लायंस रिपोर्ट प्राप्त हुई है।
कोर्ट ने शेष राज्यों को जमकर फटकार लगाई। इसके साथ ही तीन नवंबर को सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है।
विजय गोयल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों पर नियंत्रण को लेकर जो आदेश दिया था, उस पर कंप्लायंस नहीं हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि आक्रामक स्वभाव वाले कुत्तों को बाड़े में बंद किया जाना चाहिए, इस पर भी राज्यों को गंभीरता दिखानी चाहिए।
कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। एक याचिकाकर्ता के रूप में मेरा अनुरोध सरल है। देश में 12 करोड़ आवारा कुत्ते हैं और कुत्ते हर दिन हजारों लोगों को काटते हैं।
उन्होंने कहा कि अकेले दिल्ली में ही रोजाना 2,000 से अधिक कुत्तों के काटने के मामले सामने आते हैं, यानी देशभर में यह संख्या लाखों में है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ा असंतोष व्यक्त किया है कि राज्य सरकारों ने अभी तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की है, जो उनकी लापरवाही और गंभीरता की कमी को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा से “नो डॉग्स ऑन स्ट्रीट” नीति की मांग की है ताकि देशभर में बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। अब समय आ गया है कि सभी राज्य इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कदम उठाएं।
22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कम्प्लायंस एफिडेविट फाइल करने का निर्देश दिया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने नोट किया कि केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम ने ही कम्प्लायंस एफिडेविट फाइल किया है।