क्या मनरेगा का नाम बदलने पर विपक्ष का प्रदर्शन उचित है?

Click to start listening
क्या मनरेगा का नाम बदलने पर विपक्ष का प्रदर्शन उचित है?

सारांश

नई दिल्ली में विपक्ष ने मनरेगा योजना का नाम बदलने के खिलाफ संसद भवन में मार्च निकाला। यह प्रदर्शन भाजपा की नीतियों पर सवाल उठाता है और महात्मा गांधी के नाम को हटाने की आलोचना करता है। क्या यह बदलाव गरीबों के अधिकारों पर प्रभाव डालेगा?

Key Takeaways

  • मनरेगा का नाम बदलने का मुद्दा विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
  • इस बदलाव से गरीबों और मजदूरों के अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।
  • भाजपा की नीतियों पर सवाल उठाना लोकतंत्र का हिस्सा है।

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मनरेगा का नाम बदलने के मुद्दे पर विपक्ष लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है। गुरुवार को विपक्ष के सांसदों ने संसद भवन में मार्च निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया। उन्होंने सवाल उठाया कि भाजपा को महात्मा गांधी से क्या समस्या है, जो वह इस योजना का नाम बदलने पर जोर दे रही है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मीडिया से बातचीत में कहा, "यह केवल नाम बदलने का मामला नहीं है। मनरेगा अधिकारों का प्रतीक है। हमने जो काम का अधिकार दिया था, उसे छीना जा रहा है। यदि वे इसकी मांग-संचालित प्रकृति को समाप्त कर देंगे, तो काम देने से मना कर सकते हैं और फिर कह सकते हैं कि डिमांड नहीं है। यह विशेष रूप से गरीबों, पिछड़े वर्गों और दलितों के अधिकारों पर हमला है। भाजपा की सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए।"

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "उन्होंने इस योजना को बर्बाद कर दिया है। मनरेगा गरीबों के लाभ के लिए थी और इससे उन्हें लाभ भी हुआ। भाजपा केवल नाम बदलने का कार्य कर रही है। इससे ज्यादा इनके पास कुछ नहीं है।"

दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, "वे मूलतः गांधी की विचारधारा के खिलाफ रहे हैं। भाजपा को गांधी से इतनी नफरत क्यों है, यह समझ से परे है। नाम बदलने की आवश्यकता क्यों महसूस हो रही है? ये लोग केवल औपचारिकता के नाम पर काम कर रहे हैं। उनका व्यवहार देश के लिए सही नहीं है।"

सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने कहा कि उनका पहला विरोध यह है कि महात्मा गांधी का नाम हटाया गया है। केंद्र सरकार की कार्यशैली देश के हित में नहीं है। सरकार को जनता के कल्याण के लिए काम करना चाहिए।

सांसद सुदामा प्रसाद ने कहा कि भाजपा गलत कर रही है। उन्होंने केंद्र सरकार का 90 प्रतिशत हिस्सा घटाकर 60 प्रतिशत कर दिया है, जिससे राज्य सरकारों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, उन्होंने योजना में कई ऐसे बदलाव किए हैं जो मजदूरों को नुकसान पहुंचाएंगे।

एसपी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा, "यह देश के गरीबों को और भी गरीब बनाने की योजना है। भाजपा सरकार लोगों के साथ अन्याय कर रही है।"

उज्ज्वल रमण सिंह ने कहा कि सरकार इसकी गंभीरता को नहीं समझ रही। उन्हें लगता है कि दो महीने में सब ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होने वाला। यह एक दीर्घकालिक समस्या है और इसका त्वरित समाधान होना चाहिए।

प्रदूषण पर राम गोपाल यादव ने कहा, "असली में, बहुत से अमीर लोग दिल्ली आए हैं। अगर उन्हें बाजार जाना हो या घर से निकलना हो, तो वे अलग-अलग गाड़ियों का उपयोग करते हैं। सरकार को ऐसे अनावश्यक खर्चों पर रोक लगानी चाहिए।"

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, "यदि आप शहरीकरण के नाम पर सारे पेड़ काट देंगे, तो आप प्रदूषण को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं? सरकार प्रदूषण को कम करने में नाकाम साबित हो रही है, जिससे नागरिकों को परेशानी हो रही है।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि मनरेगा का नाम बदलना केवल एक राजनीतिक कदम है, जिसका सीधा असर गरीबों और श्रमिक वर्ग पर पड़ेगा। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, और सरकार को जनता के हित में काम करना चाहिए।
NationPress
18/12/2025

Frequently Asked Questions

मनरेगा का नाम क्यों बदला जा रहा है?
भाजपा सरकार का दावा है कि नाम बदलने से योजना की पहचान और प्रभावशीलता में सुधार होगा, लेकिन विपक्ष इसे महात्मा गांधी के प्रति disrespect मानता है।
विपक्ष का प्रदर्शन क्यों महत्वपूर्ण है?
यह प्रदर्शन गरीबों के अधिकारों की सुरक्षा और एक महत्वपूर्ण योजना के प्रति संवेदनशीलता की ओर इशारा करता है।
Nation Press