विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत की थी, तो अब एसआईआर का विरोध क्यों?: संजय निरुपम
सारांश
Key Takeaways
- विपक्ष ने मतदाता सूची में गड़बड़ियों की शिकायत की थी।
- एसआईआर का विरोध राजनीति में विरोधाभास को दर्शाता है।
- सभी राजनीतिक दलों का कर्तव्य है कि वे चुनाव आयोग का समर्थन करें।
- शशि थरूर का कांग्रेस में न आना भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
मुंबई, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष एसआईआर का विरोध कर रहा है। शिवसेना के प्रवक्ता संजय निरुपम ने इस विरोध को गलत ठहराया है। उनका कहना है कि विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत की थी। अब इस विरोध का क्या तुक है?
संजय निरुपम ने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कहा कि एसआईआर के खिलाफ विपक्ष का विरोध पूरी तरह से गलत है। यह एक आवश्यक कदम है जिसके माध्यम से वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों, नकली वोटरों और अवैध प्रविष्टियों की पहचान की जाती है और उन्हें हटाया जाता है। विपक्ष ने खुद भी वोटर लिस्ट में गलतियों के बारे में बार-बार शिकायतें की हैं और इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया है।
विपक्ष कभी कहता है कि ज्यादा वोट हैं तो कभी यह दावा करता है कि एक ही व्यक्ति के कई स्थानों पर वोट हैं और इसी आधार पर यह आरोप लगाते हैं कि वोट चोरी हो रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर वोटर अधिकार यात्राएं आयोजित की जा रही हैं। जब आपको लगता है कि मतदाता सूची में अनियमितताएं हैं, तो ऐसे में चुनाव आयोग को अधिकार है कि वह सूची का शुद्धीकरण करे।
इस दौरान सभी राजनीतिक दलों का कर्तव्य बनता है कि वे चुनाव आयोग का समर्थन करें। जिस प्रकार से संसद में विपक्ष एसआईआर का विरोध कर रहा है, वह अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है, क्योंकि सामान्य जनता को यह विरोध नागवार गुजरेगा।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के कांग्रेस की बैठक में शामिल न होने पर संजय निरुपम ने कहा कि थरूर के न आने पर बेवजह हंगामा किया गया। थरूर ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह अपनी मां के साथ रहना चाहते थे।
थरूर कांग्रेस के कार्यशैली से असंतुष्ट हैं और जब वे सत्ताधारी सरकार के अच्छे निर्णयों की प्रशंसा करते हैं, तो पार्टी अक्सर असहज महसूस करती है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी बैठक में न जाना कोई बड़ा मुद्दा है। हालांकि, यह थरूर और कांग्रेस पार्टी का आंतरिक विषय है, जिसे वे स्वयं समझ सकते हैं।