क्या एच-1बी वीजा में बदलाव के साथ व्हाइट हाउस ने 'अमेरिका फर्स्ट' का रुख फिर से दोहराया?
सारांश
Key Takeaways
- अमेरिकी नागरिकों को रोजगार में प्राथमिकता देने के लिए नीतियां लागू की गई हैं।
- एच-1बी वीज़ा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है।
- नए आवेदनों के लिए भारी शुल्क लागू होगा।
- मौजूदा वीजा धारकों के लिए कोई रोक नहीं होगी।
- सरकार कानूनी रूप से मुकदमों का सामना करेगी।
वाशिंगटन, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। व्हाइट हाउस ने पुनः स्पष्ट किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एच-1बी वीज़ा सुधार नीति का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों को रोजगार में प्राथमिकता देना है। सरकार ने यह भी बताया है कि वह इस नीति के खिलाफ दायर मुकदमों का अदालत में पूरी ताकत से मुकाबला करेगी।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा, “राष्ट्रपति का सबसे बड़ा लक्ष्य हमेशा से अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता देना रहा है। प्रशासन इन मुकदमों का अदालत में सामना करेगा। हम जानते हैं कि लंबे समय से एच-1बी वीज़ा प्रणाली में धोखाधड़ी की समस्या रही है और इससे अमेरिकी वेतन में गिरावट आई है। इसलिए, राष्ट्रपति इस प्रणाली को बेहतर बनाना चाहते हैं, यही वजह है कि उन्होंने ये नई नीतियां लागू की हैं। ये कदम कानूनी और आवश्यक हैं और अदालत में यह लड़ाई जारी रहेगी।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने एच-1बी वीज़ा के लिए १ लाख डॉलर की आवेदन फीस से जुड़ी नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत कुछ छूट भी दी गई है। उदाहरण के लिए, जो लोग छात्र वीज़ा (एफ-१) से एच-1बी वीज़ा में बदल रहे हैं, उन्हें यह भारी फीस नहीं देनी होगी। इसी तरह, जो लोग अमेरिका के भीतर अपने वीज़ा में बदलाव या अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन करेंगे, उन्हें भी यह फीस नहीं देनी होगी।
वर्तमान एच-1बी वीजा धारकों के लिए देश में आवागमन पर कोई रोक नहीं होगी। यह आदेश केवल उन नए आवेदकों पर लागू होगा जो अमेरिका से बाहर हैं और जिनके पास मान्य एच-1बी वीजा नहीं है। नई आवेदन प्रक्रिया के लिए ऑनलाइन भुगतान की सुविधा भी प्रदान की गई है।
पिछले सप्ताह अमेरिका के सबसे बड़े व्यापार संगठन “यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स” ने इन नए नियमों को लेकर ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा किया, यह कहते हुए कि यह कदम “गैरकानूनी” है और इससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होगा। संगठन का कहना है कि इतनी भारी फीस लागू होने से कंपनियों को या तो वेतन बहुत बढ़ाना पड़ेगा या फिर कुशल विदेशी कर्मचारियों की भर्ती कम करनी पड़ेगी।
इससे पहले भी यूनियनों, शिक्षा संस्थानों और संगठनों ने अक्टूबर में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। वहीं, सितंबर में इस नीति पर हस्ताक्षर करते समय ट्रंप ने कहा था, “हमारा उद्देश्य अमेरिकी लोगों को ही काम देने का प्रोत्साहन देना है।”