क्या आप जानते हैं, याददाश्त कमजोर नहीं पड़ेगी, बस कुछ बातों का ध्यान रखें?

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क्या आप जानते हैं, याददाश्त कमजोर नहीं पड़ेगी, बस कुछ बातों का ध्यान रखें?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि उम्र बढ़ने पर भी आपकी याददाश्त को मजबूत रखा जा सकता है? इस लेख में हम बताएंगे कि कैसे सही आहार, व्यायाम, और ध्यान आपकी याददाश्त को बनाए रख सकते हैं। जानिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स जो आपकी मानसिक सेहत को बेहतर बनाएंगे।

Key Takeaways

  • सही आहार से मस्तिष्क की सेहत में सुधार होता है।
  • व्यायाम और ध्यान महत्वपूर्ण हैं।
  • मोटापा याददाश्त को प्रभावित करता है।
  • नींद का मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव होता है।
  • फिश ऑयल का सेवन फायदेमंद है।

नई दिल्ली, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। 21 सितंबर को वर्ल्ड अल्जाइमर डे है, जो एक ऐसी बीमारी है जो बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त में कमी से जुड़ी है। समय के साथ याददाश्त को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, और यह सब ब्रेन हेल्थ से संबंधित है। यदि मस्तिष्क की सेहत अच्छी रहेगी, तो शरीर भी स्वस्थ रहेगा। कुछ रिसर्च यह दर्शाती हैं कि आहार, व्यायाम, और ध्यान जैसी गतिविधियों को अपने दैनिक रूटीन में शामिल करने से याददाश्त कमजोर नहीं पड़ेगी।

2021 में किए गए अध्ययनों की समीक्षा में यह पाया गया कि सैचुरेटेड फैट्स और अतिरिक्त चीनी से भरा हुआ आहार हिप्पोकैम्पस के कार्य को प्रभावित कर सकता है। हिप्पोकैम्पस मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो याददाश्त से संबंधित होता है।

50 से 64 वर्ष की आयु के वयस्कों पर किए गए एक अन्य अध्ययन में यह पाया गया कि केवल 10 दिनों तक अतिरिक्त चीनी युक्त आहार लेने से स्मृति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए शुगर इनटेक पर नियंत्रण रखना लाभदायक होगा।

अब बात मछली के तेल की, जिसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, इकोसापेंटेनोइक एसिड (ईपीए), और डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड (डीएचए) प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये वसा स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और कोग्नेटिव फंक्शन में सुधार कर सकते हैं। फिश ऑयल सप्लीमेंट बुजुर्गों में मनोभ्रंश की स्थिति को कम करने में भी सहायक है।

डीएचए और ईपीए दोनों ब्रेन के लिए जरूरी हैं और शरीर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो कोग्नेटिव डिक्लाइन से जुड़ा है।

खाने के साथ ही ध्यान और कसरत भी ब्रेन के लिए आवश्यक हैं। 2021 के एक अध्ययन में पाया गया है कि ध्यान मस्तिष्क में ग्रे मैटर को बढ़ा सकता है, जो याददाश्त से जुड़ा है। उम्र बढ़ने के साथ, ग्रे मैटर कम होता जाता है, जिससे स्मृति और सोचने-समझने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

2025 में प्रकाशित अध्ययन 'मोटापे और मेमोरी लॉस के बीच संबंधों का व्यवस्थित विश्लेषण' के अनुसार, मोटापे से याददाश्त कम होती है और इसका संबंध स्मृति में तेजी से गिरावट से जुड़ा है। इसमें यह भी पाया गया कि मोटापे से जूझ रहे व्यक्ति को अल्जाइमर का जोखिम अधिक होता है।

2019 की एक रिसर्च ने दावा किया कि कम से कम 7 घंटे की नींद भी अच्छी याददाश्त के लिए आवश्यक है। 'मैकेनिजम्स ऑफ सिस्टम्स मेमोरी कंसोलिडेशन ड्युरिंग स्लीप' शीर्षक वाले शोध में कहा गया कि किसी भी वयस्क को रोज कम से कम 7 घंटे की नींद लेनी चाहिए।

Point of View

यह समझना जरूरी है कि याददाश्त को बनाए रखने के लिए सही आहार और जीवनशैली का पालन करना आवश्यक है। यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज की मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता है। हमें एक जागरूकता लानी होगी ताकि हम सभी मिलकर अल्जाइमर जैसी बीमारियों से लड़ सकें।
NationPress
17/09/2025

Frequently Asked Questions

याददाश्त को मजबूत करने के लिए क्या करना चाहिए?
सही आहार, नियमित व्यायाम, और ध्यान आपके मस्तिष्क की सेहत के लिए आवश्यक हैं।
क्या मोटापा याददाश्त को प्रभावित करता है?
हां, मोटापा याददाश्त में कमी का कारण बन सकता है और अल्जाइमर का जोखिम बढ़ा सकता है।
नींद का याददाश्त पर क्या प्रभाव है?
कम से कम 7 घंटे की नींद लेना याददाश्त के लिए अत्यंत आवश्यक है।
क्या मछली का तेल फायदेमंद है?
जी हां, मछली का तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होता है, जो मस्तिष्क की सेहत में सुधार करता है।
क्या ध्यान से मस्तिष्क की सेहत में सुधार होता है?
हां, ध्यान से मस्तिष्क में ग्रे मैटर बढ़ता है, जो याददाश्त से जुड़ा है।