क्या योगी सरकार के सहयोग से ग्रामीण रोजमर्रा की चुनौतियों को विकास के अवसर में बदल रहे हैं?

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क्या योगी सरकार के सहयोग से ग्रामीण रोजमर्रा की चुनौतियों को विकास के अवसर में बदल रहे हैं?

सारांश

उत्तर प्रदेश के गांवों में ग्रामीणों द्वारा रोजमर्रा की चुनौतियों को विकास के अवसर में बदलने का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। यह बदलाव योगी सरकार के सहयोग से संभव हो रहा है, जिसमें महिलाओं की भूमिका और सशक्तिकरण को प्रमुखता दी जा रही है।

Key Takeaways

  • योगी सरकार के सहयोग से ग्रामीण विकास में तेजी आई है।
  • महिलाओं का सशक्तिकरण और नेतृत्व महत्वपूर्ण है।
  • स्थानीय चेंजमेकर रोजमर्रा की चुनौतियों को अवसर में बदल रहे हैं।

लखनऊ, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के गांवों में एक शांत लेकिन शक्तिशाली बदलाव देखने को मिल रहा है। स्थानीय चेंजमेकर आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व की भूमिका निभा रहे हैं और रोजमर्रा की चुनौतियों को विकास के अवसर में बदल रहे हैं। खेती के नवाचार से लेकर वित्तीय समावेशन और स्वास्थ्य पहलों तक, ये साबित कर रहे हैं कि प्रगति तब सबसे अधिक चमकती है जब समुदायों को स्वयं नेतृत्व करने का अधिकार मिले।

अलीगढ़ के टप्पल ब्लॉक के भरतपुर गांव में कचरे को सोने में बदलने का कार्य हो रहा है। इसका श्रेय टप्पल समृद्धि महिला किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड को जाता है, जो 2022 में स्थापित एक महिला-प्रधान किसान उत्पादक संस्थान (एफपीओ) है। इसने अब 1,000 से अधिक महिला किसानों को एकजुट किया है। मात्र दो वर्षों में इसे 'लाइटहाउस एफपीओ' का दर्जा मिल गया है।

इस परिवर्तन के केंद्र में पंचायत की जमीन पर बनी जैव उर्वरक यूनिट है। जब नीलम देवी ने इस जमीन को लीज पर लेने का निर्णय लिया, तो यह कस्बे की महिला किसानों के लिए महत्वपूर्ण मोड़ बन गया। महिलाएं रोजमर्रा के कचरे जैसे गाय का गोबर, रसोई के बचे खाने के टुकड़े, और फसल अवशेष को इकट्ठा कर आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित नई तकनीक का उपयोग करके जैविक उर्वरक में बदलती हैं। इसका परिणाम यह है कि स्वस्थ मिट्टी से कम लागत में मजबूत और अधिक फसलें पैदा हो रही हैं।

यह यूनिट केवल उत्पादन स्थल नहीं है, यह सशक्तीकरण का मंच भी है। महिलाएं संचालन, वित्तीय प्रबंधन और महत्वपूर्ण निर्णय लेती हैं। ब्लॉक के किसान बेहतर मिट्टी और कम लागत का लाभ उठाते हैं, जबकि पंचायत को लीज से नियमित आय प्राप्त होती है, जिससे स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। यहां समुदाय, सरकार और बाजार मिलकर काम करते हैं। महिलाएं नेतृत्व करती हैं, नीतियां सहयोग करती हैं और खरीदार प्रतिक्रिया देते हैं। इस मॉडल ने कचरे को संपत्ति में बदलने, नेतृत्व कौशल बढ़ाने और यह साबित करने का कार्य किया कि सतत खेती लाभदायक हो सकती है।

मीरजापुर की 33 वर्षीय चंदा शुक्ला ने सचमुच 'चलते-फिरते' बदलाव की मिसाल पेश की। जब परिवार में आम तौर पर पुरुष ही आर्थिक सहारा होते थे, तब लगातार समस्याओं ने चंदा को परिवार की मुख्य कमाने वाली महिला बना दिया। इस अनिश्चित समय में उन्हें पहली महिला ई-रिक्शा उद्यमी प्रज्ञा देवी से प्रेरणा मिली। प्रज्ञा को चालक सीट पर देखकर चंदा ने विश्वास पाया कि वह भी इस लगभग पुरुष प्रधान क्षेत्र में नई आजीविका स्थापित कर सकती हैं। अपने पति के प्रोत्साहन और डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स के समर्थन से उन्होंने ऋण लिया, पहला ई-रिक्शा खरीदा और ड्राइविंग व उद्यम प्रशिक्षण लिया।

रास्ता आसान नहीं था। चंदा ने अपने चेहरे को आंशिक रूप से ढक रखा, क्योंकि लोग महिला चालक को देखकर हैरान होते थे। हर यात्रा के साथ उनका आत्मविश्वास बढ़ा। जल्द ही वह यात्रियों और स्कूल बच्चों को रोजाना ले जाने लगीं। उन्होंने न केवल दो वर्षों में अपना ऋण चुका दिया, बल्कि बच्चों की शिक्षा के लिए नियमित बचत भी की।

चंदा का प्रभाव केवल उसके घर तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने अब तक 100 से अधिक महिलाओं को ड्राइविंग, वाहन रखरखाव और सड़क सुरक्षा में प्रशिक्षित किया है। वह आर्या महिला समूह का नेतृत्व करती हैं, जो महिलाओं के ई-रिक्शा चालक और इच्छुकों का समूह है। यहां वह अन्य महिलाओं को सम्मानजनक और लाभदायक आजीविका अपनाने के लिए मार्गदर्शन देती हैं।

उनका नेतृत्व उन्हें लखनऊ और दिल्ली तक ले गया, जहां उन्होंने महिला आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अपनी यात्रा साझा की। आज बैंक और सरकारी एजेंसियां महिला उद्यमियों का समर्थन करने में अधिक इच्छुक हैं। चंदा स्वयं अपने व्यवसाय का विस्तार करना चाहती हैं। एक और ई-रिक्शा और भविष्य में चारपहिया वाहन खरीदने की योजना है।

हरदोई के बघराई गांव के 25 वर्षीय किसान हिमांशु यादव ने व्यक्तिगत स्वास्थ्य डर को समुदाय अभियान में बदल दिया। एंटी-फाइलेरियल दवा लेने के बाद उन्हें बुखार, उल्टी और तेज दिल की धड़कन हुई। पहले से चल रही सीएचओ-पीएसपी ग्राम सभाओं की जागरूकता के कारण उन्होंने इसे दवा के असर के संकेत के रूप में समझा और तुरंत इलाज कराया। कुछ घंटों में ठीक हो गए।

इसके बाद हिमांशु फाइलेरिया उन्मूलन अभियान का हिस्सा बने। उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं के साथ दवा देने में मदद की और ग्रामीणों के डर को दूर किया। 'नाइट चौपाल' पद्धति अपनाते हुए उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लगभग 130 बार दवा दी और समझाया कि दुष्प्रभाव का मतलब है कि परजीवी मर रहे हैं। आज उनके प्रयासों से 130 से अधिक ग्रामीण प्रेरित हुए हैं, यह दिखाते हुए कि जागरूकता और साहस सामूहिक कार्रवाई को जन्म दे सकते हैं।

अमेठी के किसुनी गांव की 32 वर्षीय ग्रेजुएट अनिता देवी कुछ साल पहले गृहिणी थीं, जो पति को मेट्रो शहरों में काम करने के लिए जाते देख घर पर रहकर योगदान करने का अवसर नहीं पा रही थीं। 2022 में स्थानीय ब्लॉक कार्यालय में बीसी सखी प्रोग्राम के बारे में सुनकर स्थिति बदल गई। पति के प्रोत्साहन से अनिता ने आवेदन किया, प्रशिक्षण लिया और भारतीय बैंकिंग एवं वित्त संस्थान से प्रमाण पत्र प्राप्त किया। यूपीएसआरएलएम से 75,000 रुपए की अनुदान राशि उन्हें मिली, जिसमें हैंडहेल्ड बैंकिंग डिवाइस और ओवरड्राफ्ट खाता शामिल था। 2022 में अनिता आधिकारिक रूप से बीसी सखी बन गईं।

पहले महीने की आय मात्र 1,589 रुपए थी, लेकिन अनिता लगातार मेहनत करती रहीं। गांव में डोरस्टेप बैंकिंग लेकर आईं, जिससे परिवारों के लिए बचत और बैंकिंग सरल हुई। आज उन्होंने सीधे 1,100 से अधिक ग्रामीणों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में शामिल किया है। उनका मासिक कमीशन औसतन 25,000 रुपए है और उनके पति के साथ उनका व्यवसाय 5 लाख रुपए से अधिक तक पहुंच गया है। अनिता अब 80 प्रतिशत घरेलू आय में योगदान देती हैं। उनके बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं और पति स्थानीय बाजार में कृषि इनपुट की दुकान चलाते हैं। अब वे शहरों में रोजगार के लिए पलायन पर निर्भर नहीं हैं।

Point of View

यह देखना उत्साहजनक है कि कैसे योगी सरकार ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दे रही है। ये परिवर्तन न केवल महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा दे रहे हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन कहानियों को साझा करें और समाज में बदलाव लाने की दिशा में काम करें।
NationPress
26/10/2025

Frequently Asked Questions

योगी सरकार का ग्रामीण विकास में योगदान क्या है?
योगी सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं, जो महिलाओं को सशक्त बनाने और स्थानीय व्यवसाय को बढ़ावा देने में मदद कर रहे हैं।
महिलाएं कैसे ग्रामीण विकास में योगदान कर रही हैं?
महिलाएं अब कृषि, उद्यमिता और स्वास्थ्य पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जिससे वे अपने समुदायों में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।
क्या यह बदलाव केवल ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है?
यह बदलाव मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है, लेकिन इसके प्रभाव शहरी क्षेत्रों में भी दिखाई दे रहे हैं।