क्या योगी सरकार की नंदिनी कृषक समृद्धि योजना कृषकों के लिए समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर रही है?
सारांश
Key Takeaways
- नंदिनी कृषक समृद्धि योजना से लाभार्थियों को 50% अनुदान मिलता है।
- डेयरी से रोजगार के अवसर सृजित होते हैं।
- साहीवाल गायों का दूध प्रति लीटर 100 रुपए में बिकता है।
- इंदु सिंह ने डेयरी खोलकर आय में वृद्धि की है।
- इस योजना से गोसंवर्धन को बढ़ावा मिलता है।
गोरखपुर, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। योगी सरकार की नंदिनी कृषक समृद्धि योजना गोसंवर्धन के साथ इसके लाभार्थी कृषक-पशुपालक को समृद्धि की दिशा में अग्रसर कर रही है। पिपराइच ब्लॉक के बहरामपुर की इंदु सिंह ने इस योजना से जुड़कर सफलता की एक नई मिसाल पेश की है।
पशुपालन में पहले से सक्रिय इंदु ने योगी सरकार से 50 फीसदी अनुदान प्राप्त कर साहीवाल नस्ल की 25 गायों की डेयरी स्थापित की है। यहां प्रतिदिन 200 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है, जिसकी बिक्री प्रति लीटर 100 रुपए के भाव पर हो रही है। इंदु जल्द ही दुग्ध प्रसंस्करण का कार्य भी प्रारंभ करने वाली हैं।
नंदिनी कृषक समृद्धि योजना, गोसंरक्षण और गोसंवर्धन के लिए सरकार के प्रयासों के तहत नंद बाबा मिशन का हिस्सा है। इस योजना के अंतर्गत 25 स्वदेशी उन्नत नस्ल (गिर, साहीवाल, थारपारकर, गंगातीरी) के गोवंश क्रय कर डेयरी यूनिट लगाने पर सरकार 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान करती है।
इस योजना से लाभान्वित होकर इंदु सिंह ने 25 साहीवाल गोवंश खरीद कर अपनी डेयरी खोली। इस परियोजना की कुल लागत 62.55 लाख रुपए थी, जिसमें सरकार ने 50 प्रतिशत यानी 31.25 लाख रुपए की सब्सिडी दी है। इससे लागत आधी रह गई।
साहीवाल नस्ल की गायों की इस डेयरी में प्रतिदिन लगभग 200 लीटर दूध का उत्पादन होता है, जो कि उन्नत नस्ल का होने के कारण 100 रुपए प्रति लीटर के मूल्य पर बिकता है।
इंदु सिंह का कहना है कि आय तो अच्छी हो रही है, परंतु उन्हें इस बात की भी खुशी है कि डेयरी से चार लोगों को रोजगार भी मिला है, गोसेवा का सुख उनके लिए बोनस से कम नहीं है।
गोरखपुर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. धर्मेंद्र पांडेय ने बताया कि नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के तहत स्थापित डेयरी में कृत्रिम गर्भाधान सेक्स सॉर्टेड सीमेन का उपयोग किया जाता है। इससे केवल बछिया उत्पन्न होने की संभावना है, जिससे आय में और वृद्धि होगी।
इंदु सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह आने वाले समय में डेयरी में उत्पादित दूध से प्रसंस्करण भी आरंभ करेंगी। उनके यूनिट में पनीर, मावा और मक्खन भी बनेगा। इसके साथ ही, गोबर और गोमूत्र के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण लेकर इस दिशा में कार्य करेंगी। उनका उद्देश्य डेयरी को अन्य पशुपालकों के लिए एक आदर्श मॉडल बनाना है।